जयपुर: जंतर-मंतर के सम्राट यंत्र पर हुआ वायु परीक्षण, कहीं कम कहीं ज्यादा होगी बारिश
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस बार प्रदेश में कहीं कम तो कहीं अधिक वर्षा के योग बन रहे हैं। उन्होंने यह अनुमान शनिवार शाम किए गए वायु परीक्षण के आधार पर व्यक्त किए। दरअसल, राजस्थान की राजधानी जयपुर...
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस बार प्रदेश में कहीं कम तो कहीं अधिक वर्षा के योग बन रहे हैं। उन्होंने यह अनुमान शनिवार शाम किए गए वायु परीक्षण के आधार पर व्यक्त किए। दरअसल, राजस्थान की राजधानी जयपुर में मानसून का अनुमान लगाने के लिए वायु परीक्षण किया गया। शाम तकरीबन सवा सात बजे जंतर मंतर पर ज्योतिष और दैवज्ञ जुटे। जिन्होंने ध्वज पूजन के साथ वायु परीक्षण की प्रक्रिया शुरू की। कोरोना के कारण इस बार केवल पांच ज्योतिष और दैवज्ञ ही वायु परीक्षण की विधिवत प्रक्रिया संपन्न करवाई। इसके बाद सम्राट यंत्र 105 फीट ऊंचे सम्राट यंत्र पर ध्वज फहराया गया।
पूर्व से पश्चिम की ओर बही हवा
जंतर मंतर के साथ ही शहर में एक अन्य जगह पर भी वायु परीक्षण किया गया। दोनों ही स्थानों पर हवा पूर्व से पश्चिम की ओर बही। कुछ क्षण के लिए हवा ने दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम की ओर भी रुख किया। ज्योतिषाचार्य विनोद शास्त्री के अनुसार इस बार खंड वर्षा का योग बन रहा है. यानी बरसात कहीं अधिक तो कहीं कम होगी।
वायु के दाब और दिशा के अनुसार मानसून की भविष्यवाणी
गौरतलब है कि वायु धारिणी आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन हर साल जंतर मंतर पर वायु परीक्षण किया जाता है। इसमें सम्राट यंत्र पर ध्वज पूजन के बाद वायु के दाब और दिशा के अनुसार मानसून को लेकर भविष्यवाणी की जाती है। कहा जाता है कि ज्योतिष और दैवेज्ञों की ओर से की जाने वाली यह भविष्यवाणी एकदम सटीक होती है।
105 फीट ऊंचे सम्राट यंत्र पर ध्वज फहराया गया
जानकारी के मुताबिक जतंर मंतर में बना हुआ सम्राट यंत्र 105 फीट ऊंचा है. और इससे हवा की दिशा और स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। ज्योतिष विज्ञान में वर्षा भी एक भाग है, उसमें कार्तिक शुदा प्रतिपदा यानि नवम्बर से जून तक का समय वर्षा का गर्भाधान काल कहलाता है। इस आठ माह के काल के योग भी इस अनुमान में शामिल किए जाते हैं। हवा का रुख और आठ माह के योग से परिणाम निकाला जाता है। अगर इस परीक्षण में हवा का रुख पूर्व की ओर हो यानि पुरवाई हो तो उस वर्ष अच्छी बारिश होने के संकेत मिलते हैं।
आषाढ़ी पूर्णिमा को ही वायु परीक्षण क्यों
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के योग खराब हो जाने पर वर्षा को पुष्ट करने वाले अन्य सभी योग नष्ट हो जाते हैं. और यदि अच्छे योग हो जाएं तो वर्षा का नाश करने वाले अन्य कुयोग भी अच्छे हो जाते हैं. इसलिए आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन सूर्यास्त काल में किए जाने वाला वायु परीक्षण महत्वपूर्ण माना गया है।