अभिशाप बना वरदान! खेती की जमीन को तालाबों में बदला, मछली उत्पादन से मेवात इलाके की अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल
हरियाणा-राजस्थान के पूर्वी अंचल में विद्यमान गुड़गांव नहर के जल रिसाव से अभिशाप बनी सैकड़ों एकड़ खेती की जमीन को तालाबों में बदलने से मछली उत्पादन से मेवात इलाके की अर्थव्यवस्था को संबल मिला है।
हरियाणा-राजस्थान के पूर्वी अंचल में विद्यमान गुड़गांव नहर के जल रिसाव से अभिशाप बनी सैकड़ों एकड़ खेती की जमीन को तालाबों में बदलने से मछली उत्पादन से मेवात इलाके की अर्थव्यवस्था को संबल मिला है।
हरियाणा-राजस्थान के पूर्वी अंचल में विद्यमान गुड़गांव नहर के जल रिसाव से अभिशाप बनी सैकड़ों एकड़ खेती की जमीन को तालाबों में बदलने से मछली उत्पादन की दिल्ली-एनसीआर में खपत से मेवात इलाके की अर्थव्यवस्था को संबल मिला है। इसी के साथ इस रोजगारपरक व्यवसाय के आधुनिकीकरण तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश में शुरू हुई महत्वकांक्षी ब्लॉक योजना के तहत भरतपुर जिले में एकीकृत फिशरी सेंटर खोलने की मांग को भी बल मिला है।
करीब तीन दशक पहले खेती की जमीन पर बने तालाबों से मछली उत्पादन कराने में अग्रणी लूपिन फाउंडेशन के तत्कालीन अधिशाषी निदेशक और अब समृद्ध भारत अभियान के संयोजक सीताराम गुप्ता ने केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री डॉक्टर एल मुरूगन को लिखे पत्र में बताया कि अंचल में 1800 टन मछली का उत्पादन हो रहा है जिसकी दिल्ली के बाजार में मांग है। एक अन्य पत्र में भरतपुर में मुर्गी पालन की 200 से अधिक इकाइयों का उल्लेख करते हुए पोल्ट्री सेंटर स्वीकृत करने की मांग की गई है। मानसून में यमुना नदी के अधिशेष पानी से सिंचाई के लिए ओखला बैराज से निकली गुड़गांव नहर हरियाणा के कलिंजर हैड से राजस्थान में सीमांत गांव काकन खोरी में प्रवेश करती है।
यूं आई मछली उत्पादन में तेजी
पहाड़ी कामां क्षेत्र में जमीन तल से काफी ऊंचाई पर बहने वाली नहर से जल रिसाव से जीराहेड़ा, नोनेरा, काकन खोरी आदि गांव में खेती की जमीन छोटे बड़े तालाब में बदल गई। इस अभिशाप को रोजगार के अवसर में बदलने के लिए लूपिन फाउंडेशन ने आरंभ में दो-तीन साल तक कोलकाता से मछली बीज मंगाया। परिवहन में बीज खराब होने पर जिला प्रशासन से आवंटित 10 हेक्टेयर जमीन पर वज्ञिान एवं प्रौद्योगिकी की विभाग की मदद से फिश हैजरी स्थापित कर मछली पालकों के प्रशिक्षण के साथ मछली बीज उपलब्ध कराने की व्यवस्था कराई। इसके बाद मछली उत्पादन में तेजी आई।
ये हैं मछली पालकों के सामने समस्याएं
प्रधानमंत्री की पहल पर नीति आयोग ने समस्या, समाधान एवं संपन्नता के दृष्टिकोण से देश के 112 जिलों का आकांक्षी जिला योजना के लिए चयन किया था। चालू वित्त वर्ष के बजट में इस योजना के विस्तार में महत्वकांक्षी ब्लॉक की अवधारणा को शामिल किया गया है। इससे देश में पिछले क्षेत्रों में नए मापदंडों के आधार पर सशक्तिकरण को बल मिलेगा। जीराहेड़ा सहित क्षेत्र में 200 से अधिक तालाबों में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में मछली उत्पादन हो रहा है। हरियाणा के नहरी इलाके में भी मछली उत्पादन होने लगा है लेकिन वातानुकूलित भंडारण, ग्रेडिंग तथा परिवहन के लिए वातानुकूलित वाहन के अभाव आदि समस्याओं से मछली पालकों को बहुत परेशानी होती है।
मुर्गी पालन एवं चूजों से होगी एक्स्ट्रा इनकम
इसी प्रकार जिले में मुर्गी पालन एवं चूजों से अतिरिक्त आमदनी होगी। इस उद्देश्य से पहाड़ी कामां ब्लॉक सहित राजस्थान के भरतपुर जिले में आधुनिक एकीकृत फिशरीज सेंटर एवं पोल्ट्री सेंटर स्थापित किया जाना आवश्यक हो गया है। मछली बीज व्यवसाय से जुड़े हाजी खुर्शीद मोहम्मद के अनुसार मछलियों में रहू कतला, मृगन या नरैनी गोल्डन चाइन या कामन कार तथा दूब खाने वाली मछली घासक्टर किस्म प्रमुख है। हरियाणा के फरीदाबाद क्षेत्र से नहर में रासायनिक एवं प्रदूषित पानी मिलने से मछली उत्पादन प्रभावित हुआ है। तालाबों में नलकूप का पानी उपलब्ध कराने तथा दवाइयों के छिड़काव से मछली उत्पादन में और वृद्धि की जा सकती है।