हरीश चौधरी के निशाने पर अशोक गहलोत, बोले- सचिन पायलट में नेतृत्व क्षमता
राजस्थान में विधानसभा उप चुनाव से पहले कांग्रेस की कलह खुलकर सामने आ गई है। पंजाब के प्रभारी रहे औऱ बायतु से विधायक हरीश चौधरी ने इशारों में पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा है।
राजस्थान में विधानसभा उप चुनाव से पहले कांग्रेस की कलह खुलकर सामने आ गई है। पंजाब के प्रभारी रहे औऱ बायतु से विधायक हरीश चौधरी ने इशारों में पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। हरीश चौधरी ने एक इंटरव्यू में कहा है कि सचिन पायलट में नेतृत्व क्षमता है। इसीलिए आलाकमान ने उन्हें 36 साल की उम्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था। वे पार्टी को 21 सीटों से 100 सीटों तक ले गए। राजस्थान में उनके कारण कांग्रेस की सरकार बनी। उनकी क्षमताओं पर किसी को कोई संदेह नहीं है। हरीश चौधरी ने कहा कि सरकार बचाने के लिए फोन टैपिंग अनैतिक है।
हरीश चौधरी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय सचिन पायलट को भी दिया। फिलहाल वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं और कांग्रेस के स्टार प्रचारक के तौर पर देशभर में चुनावी दौरे पर निकलते हैं। इन सबके बीच पायलट अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक और राजस्थान की अन्य सीटों पर भी लगातार सक्रिय है। पायलट की सक्रियता के बीच उनके साथ नेताओं की बढ़ती संख्या अशोक गहलोत के लिए अच्छी खबर नहीं है, जो बीमारी के चलते अभी बेड रेस्ट पर हैं।
पूर्व विधायक दानिश अबरार ने पायलट से मांगी माफी
दूसरी तरफ सचिन पायलट कल सवाईमाधोपुर के दौरे पर थे, जहां आयोजित एक जनसभा में पूर्व विधायक दानिश अबरार ने पायलट का साथ छोड़ने की अपनी गलती को सार्वजनिक तौर पर मानते हुए कहा कि सचिन पायलट हमारे नेता हैं और हम पूरी तरीके से उनके साथ हैं। दानिश अबरार ने कहा कि वह गुर्जर समाज से माफी मांगते हैं और भविष्य में भी वह पायलट के साथ खड़े रहेंगे। बता दें पायलट की बगावत के समय दानिश अबरार ने अशोक गहलोत का साथ दिया था। लेकिन अब दानिश अबरार पलटी मारते हुए दिखाई दे रहे है।
गौरतलब है कि दानिश अबरार उन तीन विधायकों में से एक थे जो सियासी संकट के दौरान मानेसर में पायलट खेमे से जयपुर लौटे थे। अशोक गहलोत ने कई बार सार्वजनिक मंचों पर कहा था कि अगर दानिश और दो अन्य विधायकों ने उन्हें समय पर सूचना नहीं दी होती तो राजस्थान में सरकार गिर सकती है। दानिश अबरार उन चंद विधायकों में से एक थे जिन्होंने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन के लिए सचिन पायलट को डटे रहने की सलाह दी थी। बाद में उन्होंने खुद ही पाला बदल लिया और अशोक गहलोत के खेमे में चले गए।