सीआरपीएफ जवान आत्महत्या केस: डीआईजी और 5 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज, पुलिस ने शुरू की जांच
सीआरपीएफ कांस्टेबल नरेश जाट की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने डीआईजी भूपेंद्र सिंह समेत छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ऑडियो और वीडियो क्लिप की भी जांच की जाएगी। कांस्टेबल
सीआरपीएफ कांस्टेबल नरेश जाट के आत्महत्या करने के एक दिन बाद पुलिस ने मंगलवार को डीआईजी भूपेंद्र सिंह समेत छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। करीब 18 घंटे तक अपने क्वार्टर में पत्नी और नाबालिग बेटी के साथ खुद को बंद रखने के बाद जाट ने अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मार ली थी। पुलिस ने सोमवार रात को मेडिकल बोर्ड से मृतक कांस्टेबल का पोस्टमार्टम करवाया था।
हालांकि परिजनों ने मांग पूरी होने तक शव लेने से इनकार कर दिया है। मांगों में शामिल है कांस्टेबल की पत्नी को नौकरी देना, आठ साल की बेटी की पढ़ाई, प्राथमिकी में नामित अधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी और एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा सीआरपीएफ जांच की व्यवस्था करना। ऑडियो और वीडियो क्लिप की सीरिज, जो आत्महत्या के बाद सामने आई, वह तनाव और अलगाव की ओर इशारा करती है जिसका मृतक सामना कर रहा था।
इन क्लिप्स में जाट और उनके भाई की आईजी विक्रम सहगल के साथ बातचीत है। जाट और उनके भाई कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार प्रताड़ित करने की बात करते हैं। जाट को डीआईजी भूपेंद्र सिंह और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने और पिछले चार से पांच दिनों से उन्हें ड्यूटी आवंटित नहीं करने की शिकायत करते हुए सुना जा सकता है। सिंह पर उसे ड्यूटी पर सूरतगढ़ भेजने का आरोप लगाने के बारे में सुना जाता है।
एक वीडियो में जो कथित तौर पर खुद रिकॉर्ड किया गया है, उसमें मृतक ने उन घटनाओं का जिक्र किया है जिसकी वजह से उसने यह खौफनाक कदम उठाया। जबकि सहगल ने उसे कहा था कि बातचीत से सबकुछ सुलझाया जा सकता है। डीसीपी (पूर्व) अमृता दुहन ने कहा, 'हमने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। ऑडियो और वीडियो क्लिप भी जांच का हिस्सा हैं। हम इन्हें सीआरपीएफ के अधिकारियों से सत्यापित करेंगे।'
उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा, 'यह घटना इस ओर इशारा करती है कि सीआरपीएफ सिस्टम में कुछ खामियां हैं। उत्पीड़न के चलते जवान ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है, जो चिंताजनक है। बेनीवाल जाट के परिजनों के साथ अस्पताल में थे। उन्होंने आगे कहा कि वह अर्धसैनिक बलों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जवानों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।