महिलाओं पर की थी विवादित टिप्पणी, टीचर के समर्थन में आदिवासी समाज की रैली के सियासी मायने समझिए
महिलाओं पर टिप्पणी करने वाले सरकारी शिक्षक के समर्थन में आदिवासी समाज के आंदोलन ने आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अपनी ताकत दिखा दी है। अब तक आदिवासी समाज कांग्रेस का वोट बैंक रहा है।
राजस्थान के डूंगरपुर जिले में महिलाओं पर टिप्पणी करने वाले सरकारी शिक्षक के समर्थन में आदिवासी समाज के आंदोलन ने आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अपनी ताकत दिखा दी है। अब तक आदिवासी समाज कांग्रेस का वोट बैंक रहा है। भाजपा ने इसमें सेंधमारी की है, लेकिन भारतीय ट्राइबल पार्टी समेत अन्य आदिवासी समाज के स्तर पर बने राजनीतिक दलों ने भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। आदिवासी बाहुल डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ को मिलाकर 17 विधानसभा सीटें जनजाति के लिए आरक्षित हैं जो सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाती है।
डूंगरपुर जिला मुख्यालय पर गुरुवार को आसपास राज्यों के जिलों के आदिवासी एकत्र हुए और बड़ी रैली का आयोजन किया। प्रदर्शन करने वाले व आयोजक सरकारी टीचर भंवरलाल परमार के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लेने की मांग कर रहे थे। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर केस वापस नहीं लिया गया तो वो जेल भरो आंदोलन का आगाज करेंगे। इस रैली में शामिल चौरासी विधायक राजकुमार रोत व सागवाड़ा विधायक रामप्रसाद डिंडोर ने कहा कि वे भी टीचर भंवरलाल परमार की बात का समर्थन करते हैं। पुलिस और सरकार में हिम्मत है तो उन्हें गिरफ्तार करके दिखाए। इस रैली में राजस्थान, गुजरात, एमपी और महाराष्ट्र के लोगों ने शिरकत की।
विधायक राजकुमार रोत ने टीचर भंवरलाल परमार के खिलाफ दर्ज हुए मामले पर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं पर षड्यंत्र रचने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले टीचर भंवरलाल ने बयान दिया था उसके बाद अभी कुछ दिन पहले कांग्रेसी नेताओं के कहने पर आदिवासी समाज की महिलाओं ने शहर में निकाली थी। उनकी रिपोर्ट पर कोतवाली थाने में टीचर भंवरलाल के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। आपको बता दें कि रोत व डिंडोर ने बीटीपी के सिंबल पर चुनाव जीता था। अब उन्होंने पार्टी से अलग होकर भारत आदिवासी पार्टी बनाने का ऐलान किया है।
यह था विवाद
राजकीय स्कूल के शिक्षक भंवर सिंह परमार ने बीते दिनों महिलाओं के व्रत रखने, पहनावे व त्योहारों को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद महिलाओं ने टीचर के खिलाफ आंदोलन किया और कार्रवाई की मांग की। इसके बाद पुलिस ने टीचर भंवरलाल परमार के खिलाफ केस दर्ज किया था।