Hindi Newsराजस्थान न्यूज़Constable saved the life of two and a half month old girl by breastfeeding

राजस्थान: काॅन्स्टेबलों ने स्तनपान करवाकर बचाई बच्ची की जान, भूख से तड़पती रही थी ढाई माह की मासूम, जानें मामला

राजस्थान के बारां जिले में दो महिला काॅन्स्टेबलों ने बारी-बारी से दूध पिलाकर ढाई माह की मासूम आदिवासी बच्ची को बचा लिया। यह बच्ची नशे में धुत्त उसके पिता के पास एक जंगल में मिली थी।

Prem Narayan Meena लाइव हिंदुस्तान, कोटाThu, 5 May 2022 04:54 PM
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राजस्थान के बारां जिले में दो महिला काॅन्स्टेबलों ने बारी-बारी से दूध पिलाकर ढाई माह की मासूम आदिवासी बच्ची को बचा लिया।  यह बच्ची नशे में धुत्त उसके पिता के पास जंगल में मिली थी। पुलिस ने बच्ची को उसकी मां को सौंप दिया गया है। बच्ची भूख प्यास से तड़प रही थी। थानाधिकारी महावीर किराड़ ने बताया कि ढाई माह की मासूम के लिए पुलिस थाने पर तैनात दोनों महिला कांस्टेबलों ने यशोदा मां बनकर बारी बारी से अपना दूध पिलाकर उसकी जान बचाई। दरअसल पुलिस को सूचना मिली की 30 वर्षीय एक शख्स नशे की हालत में थाना इलाके के बाबड़ के पहाड़ी जंगली क्षेत्र से पैदल गुजर रहा है। उसके पास एक बच्ची है। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। वहां जंगल में झाड़ियों में घुसा हुआ एक व्यक्ति मिला। उसके पास गर्मी से बेहाल अचेत अवस्था में ढाई माह की बच्ची मिली थी। उसे महिला कांस्टेबल मुकलेश ने तुरंत सीने से चिपका लिया और स्तनपान कराया।

दोनों महिला काॅन्स्टेबलों ने पिलाया बच्ची को अपना दूध

थानाधिकारी के अनुसार  नशे में धुत व्यक्ति को बच्ची सहित थाना लाया गया। वहां बच्ची की नाजुक हालत देखते हुये महिला कांस्टेबल मुकलेश और पूजा ने उसे बारी-बारी से अपने आंचल में छिपाकर दूध पिलाकर उसकी भूख मिटाई। मुकलेश और पूजा के भी छोटे-छोटे बच्चे हैं। नशेड़ी व्यक्ति से पूछताछ में सामने आया कि वह उस बच्ची का पिता का नाम राधेश्याम काथोड़ी है. वह छीपाबड़ौद थाना इलाके के सालापूरा का रहने वाला है।

कई घंटों से भूखी थी मासूम

दोनों महिला काॅन्स्टेबलों  ने बताया की बच्ची की हालत देखकर साफ लग रहा था कि वह कई घंटों से भूखी है। उसके होठ सूखे हुये थे। इतनी छोटी बच्ची को ऊपर का कुछ नहीं दे सकते। हम दोनों के एक-एक साल के बच्चे हैं। इसलिये बिना देर किये हुए पहले पूजा ने और फिर मुकलेश ने बच्ची को अपना दूध पिलाया। दोनों का कहना है कि ईश्वर की कृपा है एक अनजान आदिवासी बच्ची ने हमारा दूध पिलाया है।

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