राजस्थान विधायकों के सामूहिक इस्तीफे मामला: शांति धारीवाल समेत कई नेताओं का हाईकोर्ट का नोटिस
राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व मंत्री शांति धारीवाल समेत छह पूर्व और मौजूदा विधायकों को नोटिस जारी कर सितंबर 2022 में 81 विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के मामले में जवाब मांगा है। इनमें से ज्यादातर कांग्रेस के हैं।
राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को पूर्व मंत्री शांति धारीवाल समेत छह पूर्व और मौजूदा विधायकों को नोटिस जारी कर सितंबर 2022 में 81 विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के मामले में जवाब मांगा है। इनमें से ज्यादातर कांग्रेस के हैं। यह सामूहिक इस्तीफे तब दिए गए जब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने जयपुर में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई थी। उस बैठक का मकसद अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद पर प्रमोट करना था।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 25 सितंबर 2022 को बुलाई गई सीएलपी बैठक इसलिए नहीं हो पाई थी क्योंकि कांग्रेस विधायक इसके बजाय तत्कालीन कैबिनेट मंत्री धारीवाल के आवास पर एकत्र हुए थे। इसके बाद उनके इस्तीफे उसी रात तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को उनके आवास पर सौंप दिए गए थे।
प्रतिपक्ष के पूर्व उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने बाद में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर स्पीकर को यह स्पष्ट करने का निर्देश देने की मांग की थी कि ये इस्तीफे स्वीकार किए गए या नहीं। राठौड़ ने 81 विधायकों के पिछले कार्यकाल के पदों को 25 सितंबर 2022 से रिक्त घोषित करने और उनके वेतन और भत्तों के लिए खर्च किए गए 17.32 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश देने की भी मांग की थी।
चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमा शंकर व्यास की डिवीजन बेंच ने सोमवार को विधायक रफीक खान और शांति धारीवाल और पूर्व विधायक महेश जोशी, रामलाल जाट, महेंद्र चौधरी और संयम लोढ़ा (निर्दलीय) को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है।
राठौर जो एक वकील भी हैं उन्होंने खुद बेंच के समक्ष इस मामले की पैरवी की। राठौर ने हाईकोर्ट में कहा, "शुरू में यह दावा किया गया था कि ये इस्तीफे विधायकों द्वारा स्वेच्छा से दिए गए थे। 16 जनवरी, 2023 को विधानसभा सचिव ने उच्च न्यायालय में एक जवाब प्रस्तुत किया जिसमें कहा गया कि ये इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं दिए गए थे।"
राठौड़, जो एक पंजीकृत वकील भी हैं, ने खुद खंडपीठ के समक्ष मामले की पैरवी की। राठौड़ ने हाईकोर्ट में कहा, "शुरू में दावा किया गया था कि ये इस्तीफे विधायकों ने अपनी मर्जी से दिए थे। 16 जनवरी, 2023 को विधानसभा सचिव ने हाईकोर्ट में जवाब पेश किया जिसमें कहा गया कि ये इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं दिए गए थे।"