राजस्थान कांग्रेस: उपचुनावों के कांग्रेस की सूची कहां अटकी, यहां फंस रहा है पेच
- राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सचिन पायलट ने खुद को भले ही उप चुनाव से दूर कर लिया हो लेकिन दौसा और देवली-उनियारा सीट पर पायलट की पसंद को ही टिकट मिलने के आसार है। ऐसे में इन दो सीटों को लेकर पेच फंसा हुआ है।
राजस्थान विधानसभा उप चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची का इंतजार है। बीजेपी ने 7 में से 6 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए है। जबकि कांग्रेस की सूची अटकी हुई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं ने बैठक कर संभावित नामों की सूची पार्टी आलाकमान को भेज दी है, इसके बावजूद आलाकमान की हरी झंडी नहीं मिल पाई है। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की सूची में ज्यादातर टिकट परिवार से जुड़े हो सकते हैं।
प्रभारी सुखजिंदर रंधावा का कहना है कि परिवारवाद में कोई परेशानी नहीं है, जिन सीटों के टिकट परिवार को जा सकते हैं उनमें रामगढ़, झुंझुनू और देवली उनियारा सीट शामिल हैं। दौसा में मुरारीलाल मीणा कह चुके हैं कि उपचुनावों में उनके परिवार से कोई दावेदारी नहीं कर रहा है। जानकारी के मुतबिक कांग्रेस किसी एससी चेहरे पर यहां दांव लगा सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सचिन पायलट ने खुद को भले ही उप चुनाव से दूर कर लिया हो लेकिन दौसा और देवली-उनियारा सीट पर पायलट की पसंद को ही टिकट मिलने के आसार है। ऐसे में इन दो सीटों को लेकर पेच फंसा हुआ है।
राजस्थान कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की सूची आज आ सकती है। क्योंकि नामांकन की अंतिम तारीख नजदीक आती जा रही है। राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए शुक्रवार 11 बजे से नामांकन शुरू हो गया था। 25 अक्टूबर आखिरी तारीख है। 30 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। राज्य में विधानसभा उपचुनावों के लिए भाजपा 6 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है लेकिन कांग्रेस की तरफ से अभी नाम आना बाकी हैं। प्रदेश में आए पैनल ने प्रत्याशियों के बायोडाटा इकट्ठा कर लिए हैं, अब नामों का अंतिम फैसला दिल्ली में होना है।
हालांकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने प्रदेश की सभी सातों सीटों पर प्रत्याशी उतारने और बिना गठबंधन के चुनाव लड़ने की घोषणा की है लेकिन जानकारी के मुताबिक अब भी कांग्रेस और आरएलपी के बीच खींवसर को लेकर बातचीत बंद नहीं हुई है। यदि यह गठबंधन नहीं होता है तो आरएलपी एक से ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है, जिसका सीधा असर कांग्रेस पर होगा।