नीलगायों की हत्या का विरोध, राजस्थान में 40 संगठन लामबंद, कानून रद्द करने की मांग
राजस्थान में नीलगाय हत्या के कथित विवादास्पद कानून के खिलाफ अब लामबंदी दिखने लगी है। नीलगाय हत्या के कथित विवादास्पद कानून को रद्द करने की मांग को लेकर रविवार को अलवर में 40 से भी अधिक संगठनों ने धरना दिया।

राजस्थान में वन्यप्राणी नीलगाय हत्या के कथित विवादास्पद कानून के खिलाफ लोगों ने मोर्चा खोल दिया है। नीलगाय हत्या के कथित विवादास्पद कानून को रद्द करने की मांग को लेकर रविवार को अलवर में 40 से भी अधिक संगठनों के करीब 500 लोग धरने पर बैठ गए। यह धरना मन्नी का बड़ स्थित अहिंसा सर्किल पर आयोजित हुआ जिसकी कमान पहली बार दिगंबर जैन महिला महासमिति ने अन्य महिला संगठनों के साथ मिलकर संभाली।
इसका 40 से अधिक सामाजिक, धार्मिक प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े जन संगठनों ने खुला समर्थन किया। धरने के दौरान वक्ताओं ने कहा कि सत्ता किसी भी दल की हो, जो लोग नीलगाय जैसे निरीह वन्य प्राणी की हत्या के समर्थक बने हुए हैं, उनका बहिष्कार किया जाना चाहिए। वक्ताओं ने आगे कहा कि खुद को हिंदू, सनातन और गौभक्त कहने वाली सरकार के जिम्मेदार लोग नीलगायों की हत्याओं पर चुप रहकर मांस कारोबारियों के हितैषी बने हुए हैं।
धरने में शामिल सभी लोगों ने एक स्वर से राजस्थान में नीलगाय हत्या कानून एवं प्रावधान को वापस लेने की मांग की। लोगों ने कहा कि इस कानून को वापस लेकर इसे खत्म किया जाना चाहिए। राज्य सरकार नीलगायों को भी अन्य वन्य जीवों की तरह जीने का अधिकार देकर जियो और जीने दो के सिद्धांत को चरितार्थ करे।
धरने में किसान संगठनों के पदाधिकारियों ने साफ किया कि किसानों ने नीलगाय की हत्या की कभी मांग ही नहीं की। सत्ताधीश किसानों की आड़ में मांस कारोबारियों को लाभ पहुंचा रहे हैं। यह सरासर पाप है। ऐसा बंद होना चाहिए। धरना स्थल पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। इस बाबत मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम शीघ्र एक ज्ञापन देने का निर्णय किया गया।