मासिक बंधी ASP को ले आई बर्बादी की कगार पर, ACB के ASP ही बन गए रिश्वत के सौदागर!
जयपुर में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अपनी ही वर्दी पर सवाल खड़े कर देने वाली कार्रवाई में एएसपी सुरेंद्र कुमार शर्मा को रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ दो दलाल—रामराज मीणा और प्रदीप उर्फ बंटी पारीक—भी दबोचे गए हैं।

जयपुर में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अपनी ही वर्दी पर सवाल खड़े कर देने वाली कार्रवाई में एएसपी सुरेंद्र कुमार शर्मा को रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ दो दलाल—रामराज मीणा और प्रदीप उर्फ बंटी पारीक—भी दबोचे गए हैं। ACB ने तकनीकी सबूतों और मोबाइल सर्विलांस के आधार पर इस पूरे भ्रष्टाचार के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है।
सुरेंद्र शर्मा हाल ही में सवाई माधोपुर से ट्रांसफर होकर जयपुर मुख्यालय में अटैच हुए थे। ACB की टीम ने उन्हें जयपुर मुख्यालय से ही गिरफ्तार किया। दलाल प्रदीप पारीक को जयपुर के प्रतापनगर स्थित एक होटल से पकड़ा गया, जहां उसके पास से 11 लाख रुपये बरामद हुए। वहीं, दूसरा दलाल रामराज मीणा सवाई माधोपुर से 2 लाख रुपये की कैश राशि के साथ पकड़ा गया। तीनों से पूछताछ जारी है।
DG डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने खुलासा किया कि सवाई माधोपुर में अवैध बजरी खनन को संरक्षण देने के लिए दलालों के माध्यम से अधिकारियों तक रिश्वत पहुंचाई जाती थी। इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड एएसपी सुरेंद्र शर्मा था। जब रामराज मीणा का मोबाइल सर्विलांस पर लिया गया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कॉल्स में यह साफ हुआ कि सुरेंद्र शर्मा और उसके दलाल सरकारी कर्मचारियों को कार्रवाई और रिकॉर्डिंग का डर दिखाकर मंथली वसूली करते थे।
सुरेंद्र शर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग कर शराब के ठेकेदारों से शराब की बोतलें तक मंगवाईं। वह दलालों के जरिए डीटीओ, पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारियों से मासिक बंधी की रकम वसूलता था। यह रकम वह खुद रखता या अधिकारियों तक पहुंचाता, ताकि अवैध खनन और शराब लाइसेंस जैसे मामलों में सरकारी संरक्षण दिलाया जा सके।
ACB को सवाई माधोपुर जिले के पुलिस अधिकारियों से भी रिश्वत लेने के पुख्ता सबूत मिले हैं। सुरेंद्र शर्मा उन्हें डराने के लिए रिकॉर्डिंग या कार्रवाई की धमकी देता और पैसे ऐंठता।
यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि सुरेंद्र कुमार शर्मा अगले महीने रिटायर होने वाले थे। लेकिन रिटायरमेंट से पहले ही ACB ने अपने ही ASP को भ्रष्टाचार के गड्ढे में धकेल दिया। अब वह न केवल सेवा के अंतिम सम्मान से वंचित हो गए, बल्कि पेंशन और परिलाभ भी खतरे में हैं।
ACB की इस कार्रवाई के बाद कई विभागों के अधिकारी जांच के घेरे में आ चुके हैं।
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