उदयपुर के देवराज मर्डर केस में राजस्थान सरकार का ऐक्शन, परिवार के लिए 2 ऐलान भी
राजस्थान शिक्षा विभाग ने बुधवार सुबह उदयपुर स्थित उस स्कूल के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया, जहां होमवर्क को लेकर हुए विवाद के बाद एक 15 वर्षीय लड़के की उसके सहपाठी ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। राज्य सरकार ने पीड़ित परिवार की सहायता के लिए दो ऐलान भी किया है।
राजस्थान शिक्षा विभाग ने बुधवार सुबह उदयपुर स्थित उस स्कूल के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया, जहां होमवर्क को लेकर हुए विवाद के बाद एक 15 वर्षीय लड़के की उसके सहपाठी ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। घटना के बाद पिछले दिनों शहर में सांप्रदायिक हिंसा भी हुई थी।
यह घटना शुक्रवार की है जब दो नाबालिगों के बीच बहस हो गई थी। कुछ दिनों से उनके बीच विवाद चल रहा था, क्योंकि आरोपी ने होमवर्क की कॉपी मांगी थी। पीड़ित ने इसे किसी और को दे दिया था। उदयपुर के पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल ने कहा कि शुक्रवार को जब दोनों के बीच तीखी बहस हुई तो आरोपी ने पीड़ित को चाकू मार दिया, जिससे उसके पेट में गंभीर चोट लग गई।
पीड़ित छात्र को एमबी अस्पताल पहुंचाया गया। चार दिन तक मौत से जूझने के बाद आखिरकार छात्र देवराज ने दम तोड़ दिया था। बच्चे की मौत के बाद उसके परिजनों ने उचित मुआवजे, आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और स्कूल स्टाफ को हटाने की मांग की थी।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बीकानेर द्वारा जारी एक आदेश में, प्रिंसिपल ईशा धर्मावत को निलंबित कर दिया गया, जबकि एक अन्य शिक्षक राकेश जारोली को कथित तौर पर स्कूल के छात्रों के प्रति लापरवाही के लिए एपीओ कर दिया गया। मामले से परिचित एक अधिकारी ने कहा कि परिजनों की मांग के अनुसार कार्रवाई की गई। मामले के बाद जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने भी विभाग को पत्र लिखा। पुलिस अब मामले की जांच कर रही है।
इस बीच सरकार ने परिवार को 51 लाख रुपये का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को संविदा नौकरी, चौबीसों घंटे सुरक्षा प्रदान करने और मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्थानांतरित करके आरोपियों को सख्त सजा दिलाने का वादा किया।
शुक्रवार को घटना के तुरंत बाद आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 109, 115 और 126 के तहत मामला दर्ज किया गया था। नाबालिग और उसके पिता को शुक्रवार को हिरासत में लिया गया। पुलिस उसके पिता से पूछताछ कर रही है कि 15 वर्षीय बच्चे ने खंजर कैसे खरीदा और कैसे उसे स्कूल ले गया।
इस घटना से इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया, क्योंकि पीड़ित हिंदू था और आरोपी मुस्लिम है। मामले में कार्रवाई करते हुए घटना के एक दिन बाद नगर प्रशासन ने आरोपी नाबालिग लड़के के किराए के मकान को ध्वस्त कर दिया।
जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने कहा कि लड़के और उसके परिवार के आवास को तोड़ दिया गया, क्योंकि यह सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बनाया गया था। कहा कि यह कार्रवाई अपराधियों को कड़ा संदेश देने के लिए जरूरी था। वहीं, घर के वास्तविक मालिक राशिद खान ने कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।
हालांकि, शहर भर में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए पांच दिनों के इंटरनेट निलंबन और स्कूलों में छुट्टियों के बाद जिला प्रशासन ने बुधवार से स्कूल खोल दिए।