कोटा में पांच साल के मासूम पर झपटे आवारा कुत्ते, प्राइवेट पार्ट सहित 12 जगह जख्म
राजस्थान के कोटा में पांच साल का मासूम आवारा कुत्तों के हमले का शिकार हो गया। बच्चे के शरीर पर 12 जगह जख्म के निशान आए हैं। डॉक्टरों को उसके प्राइवेट पार्ट में टांके भी लगाने पड़े।
राजस्थान के कोटा में पांच साल का मासूम आवारा कुत्तों का शिकार हो गया। लगातार बढ़ते आवारा कुत्तों के आतंक से सब खौफ में जीने को मजबूर हैं। स्ट्रीट डॉग ने हमला कर बच्चे को बुरी तरह घायल कर दिया। मासूम के हाथ-पैर, पीठ, कमर सहित 12 जगहों पर गहरे जख्म आए हैं। प्राइवेट पार्ट पर डॉक्टरों को तीन टांके लगाने पड़े। मामला शहर के रामपुरा गुलाब बाडी इलाके से सामने आया है। लोगों का आरोप है कि बढ़ते हमलों के बावजूद प्रशासन की तरफ से सुनवाई नहीं हो रही है।
ट्यूशन जाते समय कुत्तों ने किया हमला
गुलाब बाड़ी के रामपुरा में कमलेश जैन ड्राई फ्रूट्स की दुकान चलाते हैं। उनका 5 साल का बेटा देवांश एलकेजी में पढ़ता है। वो हर दिन की तरह मां मीनाक्षी जैन के साथ घर से ट्यूशन पढ़ने जा रहा था, लेकिन ये दिन बच्चे को गहरे जख्म दे गया। बच्चा घर से निकला ही था कि उसके ऊपर गली के 4-5 आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया। शोर-शराबे की आवाज सुनकर लोगों ने बच्चे को कुत्तों से बचाया। वो तो गनीमत रही कि मौके पर मौजूद लोगों ने बच्चे को कुत्तों से बचा लिया, ना तो और भी दुखद खबर आ सकती थी। बच्चे को जब तक बचाया गया, तब तक उसके शरीर के 12 हिस्सों पर घाव के निशान आ चुके थे।
अस्पताल में सुनवाई में हुई देरी
कमलेश जैन ने बताया कि हमले के बाद बेटे देवांश को रामपुरा अस्पताल लेकर गए। वहां पर डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद एमबीएस अस्पताल ले जाने की सलाह दी। इसके बाद बच्चे को लेकर एमबीएस हॉस्पिटल रवाना हो गए, लेकिन वहां पर पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने कोई सुनवाई नहीं की। इधर-उधर घुमने के बाद काफी मशक्कत करके बेटे का इलाज शुरू करवाया गया। तब तक एक घंटा बीत चुका था। वहीं बच्चे के प्राइवेट प्रार्ट पर भी जख्म हो गए थे।
जिले मे आवारा कुत्तों का बढ़ता आतंक
आपको बता दे कि कोटा जिले में स्ट्रीट डॉग्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे मे कई जगहों पर इन कुत्तों के हमलों की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस हादसे के पहले भी कोटा शहर में कई हादसे सामने आ चुके है जहां पर स्ट्रीट डॉग्स ने लोगो पर हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया है। इनमें कई बच्चे भी शामिल है। वहीं प्रशासन की तरफ से स्ट्रीट डॉग्स को पकड़ने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।
रिपोर्ट- योगेन्द्र महावर
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