भारी सुरक्षा के बीच खोला गया रणथंभौर दुर्ग का प्रवेश द्वार, इस खतरे के चलते हफ्ते भर पहले किया था बंद
- बताया गया कि गत शुक्रवार शाम बाघिन टी-84 ऐरोहेड घूमते-घूमते अपने शावकों के साथ रणथंभौर दुर्ग में जा पहुंची थी, जहां उसका मूवमेंट पद्मला तालाब, 32 खंभों की छतरी, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बना हुआ था।
राजस्थान में सवाईमाधोपुर स्थित विश्वविख्यात रणथंभौर दुर्ग के प्रवेश द्वार गुरुवार को भारी सुरक्षा के साथ एक सप्ताह बाद फिर से खोल दिया गया। दरअसल दुर्ग स्थित त्रिनेत्र गणेश मन्दिर परिसर और उसके आसपास टी-84 ऐरोहेड बाघिन के अपने तीन शावकों के साथ मूवमेंट की जानकारी मिली थी, जिसके कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर त्रिनेत्र गणेश मन्दिर जाने वाले दुर्ग के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया था। जिसके चलते यहां आने वाले श्रद्धालुओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
अब एक सप्ताह बाद फिर से रणथंभौर में प्रवेश शुरू किए जाने के बाद श्रद्धालुओं ने बेहद खुशी व्यक्त की है। इस बीच, वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि फिलहाल दुर्ग में वन विभाग की कई टीमें तैनात हैं, जो निगरानी कर रही हैं।
बताया गया कि गत शुक्रवार शाम बाघिन टी-84 ऐरोहेड विचरण करते-करते अपने शावकों के साथ रणथंभौर दुर्ग में जा पहुंची थी, जहां उसका मूवमेंट पद्मला तालाब, 32 खंभों की छतरी, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बना हुआ था। तब से वन विभाग की टीमें लगातार बाघिन और उसके शावकों की निगरानी कर रही थी। इससे पहले भी एकबार बाघिन के एक शावक ने झपट्टा मारकर एक श्रद्धालु को घायल कर दिया था, जिसके बाद प्रशासन लोगों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट था।
आरटीआर में 70 से अधिक बाघ, चार दिन पहले मिला एक का शव
इससे चार दिन पहले रणथंभौर बाघ अभयारण्य (आरटीआर) में तीन साल के एक नर बाघ का शव मिला था। इस बारे में सोमवार को जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया था कि वन रक्षकों को रविवार सुबह आमा घाटी में एक बाघ का शव मिला, जिसकी गर्दन, पैर और सिर पर चोट के निशान थे।
मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) और आरटीआर के फील्ड निदेशक अनूप केआर ने कहा, “क्षेत्र में लगाए गए कैमरे में हमने पाया कि एक ही क्षेत्र में दो बाघों की आवाजाही थी। इसलिए संकेत मिलता है कि इलाके की लड़ाई में एक बाघ की मौत हो गई। मृत बाघ की गर्दन, पैर और सिर पर चोट के निशान पाए गए हैं।”
वन अधिकारियों के मुताबिक, रणथंभौर में बाघों की अधिक संख्या के कारण चुनौतियां बढ़ रही हैं और इलाके को लेकर उनमें अक्सर लड़ाई होती है। उन्होंने बताया कि लगभग 900 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इस अभयारण्य में 70 से अधिक बाघ हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के अध्ययन (2006-2014) के अनुसार, रणथंभौर बाघ अभयारण्य लगभग 40 वयस्क बाघों को स्थायी रूप से सुरक्षित आश्रय प्रदान कर सकता है।