भंगी, नीच, भिखारी कहने पर क्या लग सकता है SC-ST ऐक्ट, राजस्थान हाई कोर्ट ने किया साफ
कोर्ट उन चार लोगों की याचिका पर सुमनाई कर रही थी जिसमें एससी/एसटी एक्ट के तबत उन पर जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था।
राजस्थान हाई कोर्ट में जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने के मामले एक बड़ा फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि भंगी', 'नीच', 'भिखारी', 'मंगनी' जैसे शब्द जातिसूचक नहीं हैं और उनके इस्तेमाल पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (एससी/एसटी ऐक्ट) के तहत आरोप नहीं लगाए जा सकते। दरअसल कोर्ट उन चार लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एससी/एसटी एक्ट के तहत उन पर जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था। आरोप है कि इन चार लोगों ने यह टिप्पणी अतिक्रमण हटाने गई एक टीम पर की थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि चार लोगों के खिलाफ जिन शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है उनमें से कोई भी शब्द जातिसूचक नहीं है और न ही ऐसा कुछ संकेत मिला कि याचिकाकर्ताओं का इरादा किसी अधिकारी को उनकी जाति के आधार पर अपमानित करना था। कोर्ट ने कहा, इस्तेमाल किए गए शब्द जातिसूचक नहीं थे और न ही ऐसा आरोप है कि याचिकाकर्ता अतिक्रमण हटाने गए अधिकारियों की जाति जानते थे। इसके अलावा, आरोप को ध्यान से देखने पर यह भी साफ हो जाता है कि कि याचिकाकर्ताओं का इरादा अधिकारियों को उनकी जाति के आधार पर अपमानित करने का नहीं था।
क्या है मालमा?
बता दें, मामला जनवरी 2011 का है। कुछ अधिकारी जैसलमेर में पब्लिक लैंड पर कथित अतिक्रमण को देखने गए थे। उनके दौरे के दौरान याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों के काम में बाधा डालने की कोशिश की और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल भी किया। इसके बाद चारों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 353, 332 और 34 के तहत और एससी/एसटी ऐक्ट की धारा 3(1)(X) के तहत केस दर्ज किया गया।
याचिकाकर्ताओं ने क्या दी दलील?
शुरुआत में पुलिस ने आरोपों को निराधार पाया और एक नेगेटिव रिपोर्ट पेश की। इसके बाद आरोपियों के खिलाफ आपराधिक आरोप तय करने के लिए ट्रायल कोर्ट का रुख किया गया। इसके बाद आरोपियों ने उनके खिलाफ मामले को रद्द करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि ना तो वह उन लोगों की जाति के बारे में जानते थे और ना ही वहां कोई ऐसा गवाह था जो यह बता सके कि यह घटना सार्वजनिक तौर पर हुई है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील पर ध्यान दिया और यह भी कहा कि भंगी', 'नीच', 'भिखारी', 'मंगनी' जैसे शब्द जातिसूचक शब्द नहीं हैं। हालांकि अधिकारियों के काम में बाधा डालने के आरोप में केस चलाने के लिए पर्याप्त आधार है।