अजमेर दरगाह विवाद मामले में 5 लोगों ने दिया ‘वन-टेन’ का आवेदन, अदालत ने दी सुनवाई की नई तारीख
- वादी विष्णु गुप्ता का कहना है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट में पूजास्थल ही आते हैं, दरगाह नहीं। याचिका में दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई है और इसे संकटमोचन महादेव मंदिर घोषित किया जाना चाहिए।
राजस्थान में अजमेर की एक अदालत में शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें दावा किया गया है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का निर्माण शिव मंदिर के ऊपर किया गया है और मंदिर का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पश्चिम की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान मामले के सभी पक्षकारों ने कोर्ट से और अधिक समय देने की मांग की, जिसके बाद अदालत ने सुनवाई के लिए 24 जनवरी की अगली तारीख दे दी।
5 लोगों ने दिया 'वन-टेन' का आवेदन
उधर आज हुई सुनवाई के दौरान एक नया मोड़ तब आया जब अदालत में पांच अन्य लोगों ने ‘वन टेन’ का आवेदन पेश करके पक्षकार बनाए जाने की मांग की । इनमें दरगाह दीवान, अन्जुमन कमेटी, ए.इमरान बैंगलोर, गुलाम दस्तगीर और राज जैन, होशियारपुर शामिल हैं। जबकि दरगाह कमेटी की ओर से वाद खारिज करने का भी आवेदन लगाया गया है। जिसके बाद अदालत ने सभी पर 24 जनवरी को सुनवाई करने का आदेश जारी किया।
इससे पहले अजमेर में कोर्ट के बाहर दिन भर गहमागहमी का माहौल रहा। न्यायालय द्वारा पूर्व में दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस देकर 20 दिसम्बर को जवाब मांगा गया था, लेकिन तीनों पक्षकारों की ओर से अदालत से और ज्यादा समय देने की अपील की गई।
अंजुमन कमेटी ने दिया सुप्रीम कोर्ट का हवाला
सुनवाई के दौरान मूल याचिकाकर्ता और हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वकील वरूण कुमार सिन्हा ने अदालत से अपील करते हुए कहा कि अनावश्यक रूप से सभी को पक्षकार नहीं बनाया जाए। वहीं अंजुमन कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह ने उच्चतम न्यायालय का हवाला देते हुए अदालत से याचिका पर सुनवाई नहीं करने की प्रार्थना की।
विष्णु गुप्ता बोले- हमने ASI सर्वे की मांग की
सुनवाई के बारे जानकारी देते हुए दिल्ली निवासी विष्णु गुप्ता ने बताया, 'आज कोई भी आदेश नहीं आया है, और अदालत ने 24 जनवरी 2025 की अगली तारीख दी है। उस दिन हम हमारी जो मांगें बाकी रह गई थीं, हम उनको दोहराएंगे। कुछ जवाब हमें देने हैं, कुछ जवाब उन लोगों को देने हैं। कागजात के आदान-प्रदान के लिए दोनों पार्टियों को सात दिन का समय दिया जाएगा। इसके बाद आगे की जो भी प्रक्रिया है वो 24 जनवरी को होगी। जो बहस आज हुई थी, वही बहस अदालत में अगली तारीख पर होगी। हमने वहां ASI सर्वे की मांग की थी, उस पर अभी कोई आदेश नहीं आया है। सर्वे के आवेदन पर आज भी मांग हुई, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि साढ़े चार बजे ऑर्डर आएगा, लेकिन कोई ऑर्डन नहीं आया।'
अंजुमन कमेटी बोली- कोर्ट नहीं कर सकता सुनवाई
उधर आज हुई सुनवाई के बारे में जानकारी देते हुए अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा, ‘कोर्ट ने फिलहाल सभी के आवेदनों पर विचार कर लिया है और इस पर जो भी परिणाम होगा वो 24 जनवरी को बताया जाएगा। हमारी तरफ से धारा 1(10) का आवेदन दाखिल किया गया है, वहीं दरगाह कमेटी की तरफ से 7(11) में कहा गया है कि कोर्ट इस केस पर सुनवाई नहीं कर सकता है।’
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह का निर्माण शिव मंदिर के ऊपर किया गया है और मंदिर का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
बता दें कि इस पूरे वाद का महत्वपूर्ण आधार ‘पूजा स्थल अधिनियम’ है। वादी विष्णु गुप्ता ने पत्रकारों से कहा कि पूजा स्थल अधिनियम में पूजास्थल ही आते हैं, दरगाह नहीं। उन्होंने वाद के समर्थन में सेवानिवृत्त न्यायाधीश हरबिलास शारदा की 1911 की लिखी पुस्तक ‘अजमेर-हिस्टारिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ के अलावा गौरीशंकर हीराचंद ओझा -चंद्रधर शर्मा गुलेरी की पुस्तक ‘द पृथ्वीराज विजय’ को आधार बनाया है।