अजमेर शरीफ पर विवाद खड़ा करने वाले विष्णु गुप्ता कौन, राजस्थान में छेड़ दी मंदिर वाली नई जंग
अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते दायर एक याचिका पर विवाद खड़ा हो गया है। विष्णु गुप्ता नाम के याचिकाकर्ता की ओर से अजमेर मुंसिफ कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है, जिसे जज ने सुनवाई के योग्य माना है। यह मामला उठाकर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता अचानक चर्चा में आ गए हैं।
अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते दायर एक याचिका पर विवाद खड़ा हो गया है। विष्णु गुप्ता नाम के याचिकाकर्ता की ओर से अजमेर मुंसिफ कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है, जिसे जज ने सुनवाई के योग्य माना है। यह मामला उठाकर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता अचानक देश भर में चर्चा में आ गए हैं।
अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करने के बाद बवाल मच गया है। इस याचिका को दायर करने वाले हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया है दरगाह में शिव मंदिर स्थित था। उन्होंने यह दावा 1911 में लिखी गई एक किताब के आधार पर किया है।
अजमेर शरीफ का मामला उठाकर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता अचानक देश भर में चर्चा में आ गए हैं। 10 अगस्त 1984 को सकीट, एटा, उत्तर प्रदेश में एक गरीब परिवार में जन्मे विष्णु गुप्ता जब छह साल के थे तो आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। 2011 में उन्होंने कुछ भरोसेमंद लोगों के साथ मिलकर हिंदू सेना की शुरुआत की। घोर दक्षिणपंथी गुप्ता वामपंथियों के सख्त खिलाफ रहे हैं। गुप्ता अपने कट्टरपंथी विचारों और धर्मनिरपेक्षता के प्रति असहिष्णुता के लिए जाने जाते हैं। विभिन्न मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन करने में वह आगे रहते हैं। 2011 में वामपंथियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया। उन्होंने फ्रीडम फॉर बलूचिस्तान प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिसके कारण बलूच समुदाय से भारत को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।
विष्णु गुप्ता ने 1991 में उत्तर प्रदेश में अपने गांव में राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लिया। गुप्ता ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिव सेना दिल्ली राज्य के युवा विंग के उपाध्यक्ष के रूप में की। मुंबई में रहने वाले उत्तर भारतीयों पर हमलों के कारण उनका मानना था कि हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए, चाहे वे मुंबई या दिल्ली या किसी अन्य भारतीय राज्य से हों। हिंदू सेना का दावा है कि उसकी इकाइयां दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, जम्मू और कश्मीर और महाराष्ट्र राज्यों में सक्रिय हैं।
दरअसल, दिल्ली में रहने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने वकील शशि रंजन सिंह के जरिए अजमेर की मुंसिफ कोर्ट में 25 सितंबर को एक याचिका दायर किया था। याचिका में कहा गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए। कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। इसको लेकर बुधवार 27 नवंबर को जज मनमोहन चंदेल ने प्रतिवादी को नोटिस जारी किए हैं। प्रतिवादियों में दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी किया है।
याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह की जमीन पर पूर्व में भगवान शिव का मंदिर था। वहां पूजा पाठ और जलाभिषेक किया जाता रहा है। दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने का भी दावा किया गया है। याचिका में अजमेर के रहने वाले हरविलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई एक पुस्तक का हवाला दिया गया है। वादी विष्णु गुप्ता ने बताया कि 1991 पूजा स्थल एक्ट यहां लागू नहीं होता, क्योंकि पूर्व में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के अंदर कभी किसी को पूजा करने के लिए अंदर जाने ही नहीं दिया।