पब्लिसिटी और व्यक्तिगत हित के लिए याचिका, अजमेर दरगाह चीफ ने याद दिलाई मोहन भागवत की वो बात
अजमेर दरगाह को लेकर चल रहे विवाद के बीच दरगाह के सज्जादा नशीन सैयद जैनुल आबिदीन अली खान ने कहा कि कोई भी व्यक्ति पब्लिसिटी और व्यक्तिगत हित के लिए याचिका दायर कर सकता है।
अजमेर दरगाह को लेकर चल रहे विवाद के बीच दरगाह के सज्जादा नशीन सैयद जैनुल आबिदीन अली खान ने कहा कि कोई भी व्यक्ति पब्लिसिटी और व्यक्तिगत हित के लिए याचिका दायर कर सकता है। दरअसल, राजस्थान की एक अदालत द्वारा हिंदू सेना की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान शिव का मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका स्वीकार करने पर उन्होंने यह बात कही। उन्होंने उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को हुई पत्थरबाजी की घटना का उदाहरण दिया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।
सैयद जैनुल आबिदीन अली खान ने गुरुवार को कहा, “कोई भी अदालत जा सकता है, और अदालत इस पर विचार करेगी। अगर उचित सबूत होंगे, और सबूत पेश किए जाएंगे। फिर अंतिम फैसला सुनाया जाएगा। अभी लंबा रास्ता तय करना है।”
दरगाहों को निशाना बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, "यह उनका निजी स्वार्थ है। पब्लिसिटी के लिए कोई भी ऐसा कर सकता है। आप किसी को मना नहीं कर सकते।"
देश भर में मस्जिदों पर हाल ही में किए गए दावों पर अजमेर दरगाह प्रमुख ने कहा, "आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 2022 में क्या कहा था? 'आप कब तक हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश करेंगे?' संभल के अंदर भी यही किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि पांच निर्दोष लोगों की जान चली गई। मरने वाले पांच लोगों में से दो अकेले कमाने वाले थे।"
उन्होंने कहा कि मरने वालों के के परिवारों के लिए यह कितना बड़ा झटका है? अधिकारियों को इसका कोई पछतावा नहीं है।
इससे पहले, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद ओवैसी ने निचली अदालतों के आचरण पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पूजा स्थल अधिनियम की अनदेखी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि मोदी और आरएसएस का शासन देश में भाईचारे और कानून के शासन को कमजोर कर रहा है और उन्हें इसके लिए जवाब देना होगा।
ओवैसी ने कहा, “हमने संभल में देखा है कि पांच लोगों की जान चली गई। यह देश के हित में नहीं है। मोदी और आरएसएस का शासन देश, भाईचारे और कानून के शासन को कमजोर कर रहा है। उन्हें इसका जवाब देना होगा। यह सब भाजपा-आरएसएस के निर्देश पर हो रहा है।”
इससे पहले बुधवार को अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने एक सिविल मुकदमे में तीन पक्षों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था, जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर में सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में एक शिव मंदिर है।
वादी के वकील योगेश सिरोजा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मुकदमे की सुनवाई सिविल जज मनमोहन चंदेल की अदालत में हुई। वकील ने बताया, “संबंधित पक्षों- दरगाह कमेटी, एएसआई और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। मैं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज हूं, लेकिन मुझे इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है... हम अपनी कानूनी टीम के संपर्क में हैं।”
ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने मस्जिदों और दरगाहों पर विभिन्न समूहों द्वारा दावा किए जाने की घटनाओं में वृद्धि की आलोचना की। उन्होंने कहा कि देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। हर दूसरे दिन हम देखते हैं कि समूह मस्जिदों और दरगाहों पर दावा कर रहे हैं। यह हमारे समाज और देश के हित में नहीं है। आज भारत एक वैश्विक शक्ति बन रहा है। हम कब तक मंदिर और मस्जिद विवाद में उलझे रहेंगे?