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राजस्थान में 7 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में बचे 69 प्रत्याशी, 5 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना

  • उपचुनाव में नामांकन वापसी के बाद अब 69 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं जिनमें भाजपा, कांग्रेस, बाप , रालोपा के अलावा भी कुछ अन्य राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार एवं कई निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं और इनमें दस महिला प्रत्याशी हैं।

Sourabh Jain वार्ता, जयपुर, राजस्थानWed, 30 Oct 2024 09:57 PM
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राजस्थान में आगामी 13 नवंबर को होने वाले सात विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में नामांकन वापसी के बाद अब उम्मीदवारों की तस्वीर साफ होने के बाद पांच सीटों पर खींवसर, सलूंबर, झुंझुनूं, देवली-उनियारा एवं चौरासी पर त्रिकोणीय जबकि दो सीटों दौसा और रामगढ़ पर सीधा मुकाबला होने के आसार नजर आ रहे हैं।

उपचुनाव के नामांकन वापसी के आखिरी दिन बुधवार को देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के बागी नरेश मीणा के चुनाव मैदान में डटे रहने से वहां कांग्रेस उम्मीदवार कस्तूरचंद मीणा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी राजेन्द्र गुर्जर के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बनने की संभावना है। कांग्रेस के अपने बागी उम्मीदवार को नहीं मना पाने से यहां त्रिकोणीय स्थिति बनती नजर आ रही है।

उपचुनाव में इस बार सबसे चर्चित सीट नागौर जिले की खींवसर में भी शुरु से अपना राजनीतिक दबदबा बनाने में कामयाब रहे सांसद हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) की प्रत्याशी कनिका बेनीवाल, भाजपा के प्रत्याशी रेवंतराम डांगा और कांग्रेस के डा रतन चौधरी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। श्रीमती कनिका बेनीवाल श्री हनुमान बेनीवाल की पत्नी है और वर्ष 2008 से जब से खीवसर सीट अस्तित्व में आई हैं, इस पर बेनीवाल परिवार का कब्जा रहा है। हालांकि इस बार इस संभावित त्रिकोणीय मुकाबले में पिछली बार भी भाजपा प्रत्याशी रहे श्री डांगा और श्रीमती कनिका के बीच कड़ी टक्कर की संभावना जताई जा रही है।

कांग्रेस के दबदबा वाली झुंझुनूं सीट पर इस बार कांग्रेस उम्मीदवार अमित ओला को भी भाजपा उम्मीदवार राजेन्द्र भांबू और निर्दलीय प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है। सलूंबर में भी भाजपा ने अपने विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के बाद इस उपचुनाव में उनकी पत्नी शांता अमृतलाल मीणा को चुनाव मैदान में उतारकर सहानुभूति कार्ड खेला है जहां कांग्रेस उम्मीदवार रेशमा मीणा और भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के प्रत्याशी जितेश कुमार कटारा के साथ त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं।

इसी तरह सांसद राजकुमार रोत के दबदबा वाली चौरासी विधानसभा सीट पर उनकी पार्टी बाप के उम्मीदवार अनिल कुमार कटारा एवं भाजपा के कारी लाल और कांग्रेस उम्मीदवार महेश रोत के बीच त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला बनने की संभावना है।

उपचुनाव में दौसा सीट भी काफी चर्चित सीट मानी जा रही है जहां राज्य के कृषि मंत्री डा किरोडी लाल मीणा के भाई जगमोहन भाजपा के प्रत्याशी के रुप में चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं जबकि कांग्रेस ने उनके सामने दीनदयाल बैरवा को अपना प्रत्याशी बनाया हैं जहां इन दोनों उम्मीदवारों में सीधा मुकाबला माना जा रहा है। इसी तरह रामगढ़ सीट पर कांग्रेस ने अपने विधायक जुबैर खान के निधन के बाद उनके पुत्र आर्यन जुबैर को चुनाव मैदान में उतारा वहीं भाजपा ने पूर्व प्रत्याशी सुखवंत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया जहां दोनों में सीधी चुनावी टक्कर मानी जा रही है।

इस उपचुनाव को लेकर हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले जहां अधिकत्तर सीटों पर कांग्रेस का पलड़ा भारी माना जा रहा था वहीं हरियाणा चुनाव परिणाम में भाजपा की अप्रत्याशित जीत के बाद अब राजस्थान उपचुनाव में भी उसका भारी असर की संभावना जताई जा रही है, साथ ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की राजनीतक कुशलता भी देखने को मिली है जहां भाजपा के चार सीटों पर उभरे बागी उम्मीदवारों को मना लिया गया जबकि कांग्रेस अपने केवल एक बागी को नहीं मना पाई।

भाजपा न केवल बागियों को मनाने में कामयाब रही बल्कि वह खीवसर विधानसभा में अपना राजनीतिक प्रभाव वाले दुर्ग सिंह चौहान को फिर भाजपा में शामिल कर लिया। इसी तरह डूंगरपुर में पूर्व विधायक देवेन्द्र कटारा की भी भाजपा में घर वापसी करा दी गई और रामगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी निर्मल सुरा ने भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में अपना नाम वापस ले लिया। इस तरह राजनीतिक गलियारें में भाजपा की स्थिति मजबूत मानी जाने लगी है।

उपचुनाव में नामांकन वापसी के बाद अब 69 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं जिनमें भाजपा, कांग्रेस, बाप , रालोपा के अलावा भी कुछ अन्य राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार एवं कई निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं और इनमें दस महिला प्रत्याशी हैं।

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