लॉरेंस के इंटरव्यू में पुलिस अधिकारियों की क्या रही भूमिका? होगी सख्त जांच; रिटायर जस्टिस रैना के जिम्मे आया काम
- हरियाणा हाईकोर्ट ने रिटायर जस्टिस राजीव रंजन रैना को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिए हैं कि जांच अधिकारी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उन्हें जांच के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं।
कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में खरड़ सी.आई.ए. स्टाफ में एक टी.वी. चैनल के लिए हुए इंटरव्यू के मामले में पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रिटायर जस्टिस राजीव रंजन रैना को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिए हैं कि जांच अधिकारी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उन्हें जांच के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाए जाएं। पंजाब के एडवोकेट जनरल ने बताया गया था कि पुलिस महानिदेशक प्रबोध कुमार की अगुवाई वाली एस.आई.टी. की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में हुए इंटरव्यू में कुछ पुलिस अधिकारियों की भूमिका सामने आई है, जिसकी जांच को सरकार कमेटी बनाने जा रही है।
पंजाब सरकार की ओर से जांच कमेटी के लिए कुछ नामों की सील बंद सूची कोर्ट में दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने लौटाते हुए रिटायर जस्टिस रैना को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक प्रबोध कुमार को इस संबंध में जांच की स्टेटस रिपोर्ट भी अगली सुनवाई को दाखिल करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस अनुपिंदर सिंह व जस्टिस लपिता बैनर्जी पर आधारित बैंच ने सीनियर एडवोकेट राकेश कुमार नेहरा को कोर्ट की मदद के लिए कोर्ट मित्र नियुक्त किया है, जिन्हें केस की फाइल मुहैया करवाने के आदेश भी दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी।
15 फरवरी तक करें जेलों में सुरक्षा इंतजाम पूरे
पंजाब की जेलों में सुरक्षा उपकरणों को लेकर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को 15 फरवरी तक का समय दिया है और केंद्र को जेलों में सुरक्षा उपकरणों को लेकर हरसंभव मदद करने को कहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र तनु बेदी ने बताया है कि कोर्ट ने 28 अक्तूबर, 2024 के आदेश के तहत पंजाब के पुलिस महानिदेशक को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था कि अपराधी को सी.आई.ए. स्टाफ परिसर में रखने के लिए बार-बार पुलिस रिमांड क्यों प्राप्त किया गया। अपराधी को लंबे समय तक सी.आई.ए. स्टाफ, खरड़ के परिसर में रखा गया था। कोर्ट मित्र ने 16 दिसम्बर के आदर्शो में इंटरव्यू का स्थान जेल लिखे जाने की जानकारी भी कोर्ट को दी, जिसे सुधार लिया गया है और जेल की जगह खरड़ सी.आई.ए. स्टाफ कर दिया गया है।
पंजाब के डी.जी.पी. को अगली सुनवाई पर एफिडैविट के माध्यम से बताना होगा कि लॉरैंस बिश्नोई को 5 महीने तक पुरानी एफ.आई.आर. के तहत रिमांड लेते हुए 5 महीने तक खरड़ सी.आई.ए. स्टाफ में किस आधार पर रखा गया था। उन्होंने प्रैस कांफ्रैंस में किस आधार पर कहा था कि इंटरव्यू पंजाब से बाहर कहीं हुआ है।
लॉरेंस का बार-बार रिमांड मांगने पर हाईकोर्ट ने उठाया था सवाल
इससे पहले गुजरे सोमवार को पंजाब सरकार ने मोहाली के डी.एस.पी. गुरशेर सिंह को बर्खास्त करने का फैसला लिया था जिसकी जानकारी कोर्ट को दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि सीआईए स्टाफ खरड़ थाना परिसर में इंटरव्यू करने का तथ्य, जेल परिसर में इस तरह के इंटरव्यू से भी बदतर है। डीजीपी के हलफनामे से यह स्पष्ट है कि लॉरेंस पांच महीने सीआईए स्टाफ खरड़ में था और केवल दो महीने से कम अवधि के लिए बठिंडा जेल में था।
हाईकोर्ट ने कहा कि आखिर क्यों बार-बार उसका रिमांड मांगा गया। हाईकोर्ट ने पंजाब के डीजीपी से पूछा था कि आखिर किस जांच के आधार पर उन्होंने इंटरव्यू पंजाब में नहीं होने की बात कही थी। डीजीपी ने जल्दी में क्यों पंजाब की जेलों को क्लीन चिट दी, जबकि जेलों का अधिकार उनके पास नहीं है। हाईकोर्ट ने उन्हें एक और मौका देते हुए दोबारा हलफनामा दाखिल करने का मौका दिया है।
रिपोर्ट: मोनी देवी
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