AAP MLA न घर के रहे न घाट के, यू-टर्न लेने के बाद स्पीकर ने दिया झटका; अपनी ही जाल में ऐसे उलझे
Punjab News: शीतल भाजपा का हिस्सा बन चुके थे और दल-बदल विरोधी कानून उन पर लागू हो रहा था लेकिन वह चाहते थे कि उनकी विधायकी जाने के बाद उस सीट पर उपचुनाव न हो, इसलिए उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया था।
Punjab News: लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हुए जालंधर वेस्ट से विधायक रहे शीतल अंगुराल अपने ही बुने जाल में फंस गए हैं। विधायक के पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने एक जून को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने 30 मई को ही उनका इस्तीफा स्वीकार लिया। खबर है कि 31 मई को इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी।
दरअसल, शीतल भाजपा का हिस्सा बन चुके थे और दल-बदल विरोधी कानून उन पर लागू हो रहा था लेकिन वह चाहते थे कि उनकी विधायकी जाने के बाद उस सीट पर उपचुनाव न हो, इसके लिए शीतल ने एक ई-मेल भेजकर स्पीकर संधवा से अनुरोध किया कि वह इस्तीफा वापस ले रहे हैं लेकिन इससे पहले कि वह तीन जून को स्पीकर के सामने पेश होकर अपना इस्तीफा वापस लेते, स्पीकर ने उन्हें करारा झटका दे दिया है। अब जालंधर वेस्ट की सीट खाली हो गई है और वहां जल्द ही उप-चुनाव का ऐलान हो सकता है। ऐसे में शीतल अंगुराल अब न घर के रहे न घाट के।
इस्तीफा वापस लेना मेरा लोकतांत्रिक अधिकार, अब अदालत जाऊंगा: अंगुराल
विधायक शीतल अंगुराल आज सुबह करीब साढ़े 11 बजे स्पीकर के सामने अपना पक्ष रखने पहुंचे थे। हालांकि, स्पीकर विधानसभा में मौजूद नहीं थे, इसलिए विधायक को कुछ समय इंतजार करने के बाद लौटना पड़ा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैं स्पीकर से मिलने पहुंचा था, लेकिन वह विधानसभा में मौजूद नहीं हैं। मैं उनके सेक्रेटरी से मिलकर आया हूं। स्पीकर फिलहाल दिल्ली में हैं, जिसके चलते वह मिल नहीं सके। अब 11 जून को सुबह 11 बजे मुझे दोबारा बुलाया गया है। इस्तीफा वापस लेने का लेटर मैंने सेक्रेटरी के पास जमा कर दिया है और रिसीविंग ले ली है। लेकिन इसके कुछ समय बाद सरकार की नोटिफिकेश की कॉपी आ गई जिसमें इस्तीफा मंजूर करने का जिक्र था।
अंगुराल ने कहा कि चुनाव से 69 दिन पहले मैंने इस्तीफा दिया, लेकिन अभी तक मंजूर नहीं किया गया। यह इनकी मर्जी थी। इस्तीफा वापस लेना मेरा लोकतांत्रिक अधिकार था, जिसे मैंने इस्तेमाल किया। मैं अदालत का दरवाजा खटखटाउंगा। अंगुराल ने कहा कि मैंने इस्तीफा केवल इसलिए दिया था, क्योंकि लोकसभा चुनाव के साथ ही उसके चुनाव करवाए जाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेरे लोगों ने वोट मुझे डाले हैं, न कि किसी पार्टी को इसलिए, मैंने इस्तीफा वापस लेने का फैसला लिया है।
ऑपरेशन लोटस के हैं मुख्य शिकायतकर्ता
शीतल अंगुराल पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने वाले ऑपरेशन लोटस के मुख्य शिकायतकर्ता हैं। डेढ़ साल पहले ऑपरेशन लोटस मामले में आम आदमी पार्टी के दो विधायकों जालंधर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक शीतल अंगुराल और जालंधर सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रमन अरोड़ा ने अपने बयान दर्ज कराए थे। मोहाली थाने में मामला दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी गई थी। लेकिन डेढ़ साल की जांच के बाद भी विजिलेंस जांच में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया जिससे इस मामले में किसी का नाम सामने आ सके। उधर, भाजपा में शामिल होने के बाद शीतल अंगुराल ने कल कहा था कि वह जल्द ही ऑपरेशन लोटस मामले में क्या हुआ, इस बारे में बड़ा खुलासा करेंगे।
सांसद सुशील कुमार रिंकू के साथ हुए थे भाजपा में शामिल
लोकसभा चुनाव से पहले 27 मार्च को पंजाब में आदमी आदमी पार्टी को डबल झटका देते हुए जालंधर के सांसद सुशील कुमार रिंकू और जालंधर पश्चिम से विधायक शीतल अंगुराल बीजेपी में शामिल हो गए थे। आम आदमी पार्टी ने जालंधर लोकसभा सीट से सुशील कुमार रिंकू को अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था। इसके बाद उन्हें बीजेपी से टिकट मिला। दोनों के बीजेपी में जाने से आप कार्यकर्ता भड़क गए थे और उनके आवास के बाहर तोड़फोड़ की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने दोनों को सुरक्षा मुहैया करवाई थी।
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