83 दिन चला लोकसभा चुनाव का कैंपेन, सियासी पिच से क्यों दूर रहे नवजोत सिद्धू; कहां थीं मुश्किलें
83 दिनों तक चली कैंपेन में नवजोत सिंह सिद्धू ने ना किसी से वोट मांगा और न ही किसी स्टेज पर प्रचार करते नजर आए। सिद्धू ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पंजाब में 1 जून को होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की कैंपेनिंग से पूर्व क्रिकेटर और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पूरी तरह गायब रहे। 83 दिनों तक चली कैंपेन में नवजोत सिंह सिद्धू ने ना किसी से वोट मांगा और न ही किसी स्टेज पर प्रचार करते नजर आए। इसी के दौरान इंडियन प्रीमियर लीग भी खत्म हो गया, लोगों को उम्मीद थी कि शायद वह पटियाला में दिख सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में शामिल रहे सिद्धू ने पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार से दूरी बनाए रखी। सिद्धू ने आचार संहिता लागू होने से पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह पंजाब में ही रहकर पंजाब की सेवा करना चाहते हैं।
कमेंट्री से जीता दिल, बीमार पत्नी की सेवा में भी जुटे रहे
आईपीएल के आगाज होने के साथ ही नवजोत सिद्धू कमेंट्री में शामिल हो गए। वह अपने एक्स अकाउंट पर आईपीएल की पोस्ट शेयर करते दिखे। सिद्धू अपने मजेदार कमेंट्री से लोगों का दिल जीत चुके हैं और कमेंट्री के दौरान उनका प्रसिद्ध डायलॉग छा गए गुरु और ठोको ताली फैंस के दिलों-दिमाग में हैं। इस बार उन्होंने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी की तारीफों के पुल बांधते हुए उन्हें भालू बताया था। उन्होंने कहा था आपने भालू देखे हैं, जो हाइबरनेशन में छह-छह महीने रहते हैं, लेकिन जब आते हैं, तो सबके छक्के छुड़ा देते हैं, धोनी भी ऐसे ही हैं। वहीं, सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू कैंसर से ग्रसित हैं और लंबे समय से उनका इलाज चल रहा है। उनका पूरा ध्यान अपनी पत्नी की सेहत पर भी रहा। वह अपनी पत्नी की सेहत की अपडेट देते रहे।
पंजाब के कांग्रेस नेताओं के साथ तनातनी
सिद्धू के पंजाब के कांग्रेस नेताओं के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं। अक्सर कांग्रेस के सीनियर नेता सिद्धू के खिलाफ बयानबाजी करते दिखाई देते हैं। 11 फरवरी को पंजाब कांग्रेस के कार्यकारिणी की बैठक जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी आए थे लेकिन सिद्धू को नहीं बुलाया गया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के साथ भी सिद्धू की नहीं बनती है।
कांग्रेस को हो सकता है बड़ा नुकसान
नवजोत सिद्धू के गुट के नेताओं ने कुछ समय पहले बैठक कर फैसला लिया था कि जब तक कांग्रेस आलाकमान नवजोत सिद्धू की रैलियां करवाने के चलते पार्टी से निकाले गए नेताओं को दोबारा कांग्रेस में शामिल नहीं कर लेता, तब तक वे चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लेंगे। सिद्धू गुट के नेताओं की इस मांग को कांग्रेस आलाकमान ने अभी तक कोई ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। इसके चलते नवजोत सिद्धू गुट के नेता अपने-अपने घरों में बैठकर कांग्रेस आलाकमान का मुंह ताकते रहे। नवजोत सिंह सिद्धू और उनके गुट के नेता कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार नहीं करने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है।
रिपोर्ट: माेनी देवी
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