पंजाब CM ने बड़ी उम्मीद से कराया था AAP में शामिल, शाम होते ले लिया यू-टर्न; ताकती रह गई आप
Punjab Politics: मंगलवार को परिवार के कुछ सदस्यों के साथ आप में शामिल होने वाली सुरजीत कौर ने शाम तक यू-टर्न लेते हुए बागियों के नेतृत्व वाले अकाली दल के खेमे में वापसी कर ली है।
Punjab Politics: पंजाब के जालंधर पश्चिम विधान सभा सीट पर 10 जुलाई को उप चुनाव होने वाले हैं लेकिन उससे पहले शिरोमणि अकाली दल में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है। दो बार की पार्षद रही अकाली नेता सुरजीत कौर ने पार्टी उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। पार्टी ने उन्हें चुनाव चिह्न भी आवंटित कर दिया लेकिन भितरघात के बाद पार्टी ने ऐलान किया कि इस अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर होने वाले उपचुनाव में आधिकारिक रूप से बसपा उम्मीदवार को समर्थन किया जाएगा।
इसके बाद मंगलवार को सुरजीत कौर ने शिरोमणि अकाली दल छोड़ दी और दोपहर होते-होते राज्य की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी का झाड़ू थाम लिया। खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनका पार्टी में स्वागत किया। कौर ने ऐलान किया कि वो जालंधर उप चुनाव में आप उम्मीदवार मोहिंदरपाल भगत का समर्थन करेंगी लेकिन शाम होते-होते 60 साल की कौर ने एक बार फिर मन बदल लिया और यू-टर्न लेते हुए फिर से अकाली दल में वापसी कर ली। इस तरह मंगलवार को सुरजीत कौर ने दो बार पार्टी बदली।
शाम में घर वापसी करते हुए सुरजीत कौर ने कहा कि वह दिल से अकाली हैं और उन्हें सत्ताधारी पार्टी यानी आप में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अकाली दल के उम्मीदवार के तौर पर ही जालंधर उप चुनाव लड़ेंगी। इस बीच, आप के कार्यकारी अध्यक्ष और बुलढाणा विधायक बुधराम कौर ने सुरजीत कौर की आलोचना की है और कहा है कि उन्होंने दबाव में अपने कदम पीछे खींचे हैं।
दरअसल, ऐसे आरोप हैं कि सुरजीत कौर शिरोमणि अकाली दल के बागी गुट के नेताओं के संपर्क में थीं। इसी वजह से पार्टी ने उनकी उम्मीदवारी वापस लेने का ऐलान किया गया था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) पूर्व प्रमुख बीबी जागीर कौर को सुरजीत कौर का समर्थक माना जाता है, जबकि जागीर कौर पार्टी के विद्रोही और बागी गुट की नेता हैं। जागीर कौर के अलावा पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह बडाला ने भी सुरजीत कौर का समर्थन किया था।
ये विद्रोही नेता सोमवार को अकाल तख्त के जत्थेदार के सामने पेश हुए थे। इस दौरान उन्होंने 2007 और 2017 के बीच सत्ता में रहने के दौरान पार्टी द्वारा की गई गलतियों के लिए माफी मांगी। दूसरी तरफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के 106 सदस्यों ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का समर्थन किया है।
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