आप सरकार ने करवाया सुखबीर बादल पर हमला, पंजाब पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं: अकाली दल
- एसपी रंधावा ने कहा था कि सुखबीर के साथ सिर्फ बलविंद्र सिंह भूंदड़ की मौजूदगी रहने दी जाए और बाकी के साथी उनसे दूर हो जाएं। ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार ने अपराधी को सुखबीर बादल तक पहुंचने में सहायता की।
शिरोमणि अकाली दल ने गोल्डन टेंपल के बाहर धार्मिक सजा भुगत रहे सुखबीर सिंह बादल पर हुए कातिलाना हमले के पीछे पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही पंजाब पुलिस की जांच को सिरे से खारिज दिया है। शिअद ने कहा कि पंजाब के राज्यपाल से संपर्क कर निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे। अकाली दल ने हमले को बड़ी साजिश करार देते हुए कहा कि पंजाब पुलिस और प्रदेश सरकार दोनों की भूमिका पर सवाल खड़ा किया। कहा गया कि ऐसा क्यों हुआ कि हमले से पहले एसपी हरपाल सिंह रंधावा ने नौजवान अकाली नेताओं को सुखबीर बादल को अकेला छोड़ने के लिए कहा?
एसपी रंधावा ने कहा था कि सुखबीर के साथ सिर्फ बलविंद्र सिंह भूंदड़ की मौजूदगी रहने दी जाए और बाकी के साथी उनसे दूर हो जाएं। ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार ने अपराधी को सुखबीर बादल तक पहुंचने में सहायता की और एसपी हरपाल रंधावा ने इस संबंध में बड़ी भूमिका निभाई है। एसपी ने सेवा के पहले दिन नौजवान नेताओं को और यहां तक कि एसजीपीसी सचिव को घटनास्थल से खुद को हटाने के लिए कहकर बादल को अलग-थलग करने की कोशिश की, जबकि उन्हें हमलावर नारायण चौड़ा के साथ हाथ मिलाते हुए देखा गया। क्या वह चाहते थे कि सुखबीर पर जब हमला हो तो कोई उनकी रक्षा न कर सके?
'हमले का मकसद अकाली नेतृत्व को समाप्त करना'
चंडीगढ़ में कोर कमेटी की बैठक के बाद अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि सुखबीर बादल की सुरक्षा में अगर थोड़ी भी ढिलाई दी जाती तो उन पर गोली चल जाती। उसके बाद नारायण सिंह चौड़ा श्री दरबार साहिब जी में मौजूद अन्य श्रद्धालुओं पर भी हमला बोल सकता था। यह कोई छोटी साजिश नहीं थी। यह हमला सिर्फ सुखबीर बादल पर ही नहीं बल्कि श्री दरबार साहिब जी के मीरी-पीरी के सिद्धांतों पर था क्योंकि सुखबीर बादल उस समय श्री अकाल तख्त साहिब जी के सिंह साहिबान के हुक्म पर पहरेदार के तौर पर दरबार साहिब के द्वार पर पहरा दे रहे थे। उन्होंने कहा कि हमले का मकसद अकाली नेतृत्व को समाप्त करना था। यह जानलेवा हमला सिख परंपराओं, खालसा विरासत और महान गुरु साहिबान की ओर से विरासत में दिए गए पवित्र मूल्यों और संस्थाओं पर आक्रमण है। उन्होंने पूरी घटना को प्रदेश सरकार की ओर से प्रायोजित कार्यक्रम के हिस्से का भाग बताया।
कार्यकारी अध्यक्ष बलविंद्र सिंह भूंदड़ ने कहा कि हत्या का प्रयास श्री अकाल तख्त साहिब जी के प्रतीक मीरी-पीरी की अवधारणा और विचारधारा पर और पवित्र सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब पर भी हमला है, जिस पर अब सिख विरोधी हत्यारे की गोली के अपवित्र निशान हैं। ये गोली के निशान इंदिरा गांधी की ओर से दागे गए बुलेट के निशानों के समान ही हैं। हत्या के प्रयास के दिन भी उसे पंजाब के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सुखबीर बादल तक पहुंचने में सहायता और मार्गदर्शन किया जा रहा था। पुलिस अधिकारियों की अपने ही भेड़िये से खुद को अलग करने की जल्दबाजी उनके अपराध को साबित कर रही है।
'मुख्यमंत्री भगवंत मान का आचरण शर्मनाक'
बिक्रम सिंह मजीठिया और डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने मोगा में दल खालसा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में अकाली नेता गुरप्रताप सिंह वडाला की उपस्थिति पर भी सवाल उठाए। दल खालसा का संविधान में विश्वास नहीं है और वह खालिस्तान के समर्थन में खड़ा है। उन्होंने वडाला से दोनों मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है। कोर कमेटी ने एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें कहा गया कि यह हमला अकाली दल के उदारवादी लीडरशिप को खत्म करने की साजिश का हिस्सा था। पार्टी ने सिख विरोधी ताकतों की ओर से श्री दरबार साहिब जी पर ऐसे समय में किए गए हमले की निंदा की, जब एक सेवादार सुखबीर बादल गुरुघर के द्वार पर सेवा कर रहे थे। पार्टी ने यह भी कहा कि इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री भगवंत मान का आचरण शर्मनाक है। पवित्र स्थान पर हमले के बाद स्थिति का जायजा लेने के बजाय मुख्यमंत्री को घटना को कमतर आंकने की कोशिश की।
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