डिपोर्ट होने का दर्द: बेटे के लौटने की खुशी मनाएं या कर्ज में डूबने का मातम
- indian deportation row: अमेरिका से डिपोर्ट होकर आए भारतीयों के परिवारों में दोनों तरह का माहौल है। एक तरफ तो उन्हें खुशी है कि उनके बेटे लौट आए हैं। दूसरी तरफ कर्जे और जमीनों के बेचे जाने का गम भी है।
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अमेरिका से डिपोर्ट हुए 119 भारतीयों को लेकर अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड कर चुका है। डिपोर्ट होने वाले 119 लोगों में पंजाब के 67, हरियाणा के 33 , गुजरात के 8, उत्तर प्रदेश के तीन, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान के दो-दो और हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के एक-एक लोग शामिल हैं। पंजाब के लोगों में सबसे ज्यादा गुरदासपुर के 11, कपूरथला के 10, होशियारपुर के 10 और अमृतसर के 7 लोग हैं। इन्हीं में से एक है राजासांसी विधानसभा क्षेत्र के गांव भुल्लर का युवक गुरजिंदर सिंह वह घर की गरीबी दूर करने के लिए विदेश गया था। ट्रैवल एजेंट के झांसे में फंसा लिया और गुरजिंदर को अवैध तरीके से अमेरिका भेज दिया। कई महीनों तक भटकने के बाद वह अमेरिका पहुंचा और फिर पकड़ा गया। गुरजिंदर की मां बलविंदर कौर ने बताया कि उनके पति की मौत हो चुकी है। बेटा 12वीं पास करने के बाद घर की गरीबी दूर करने के लिए विदेश गया था। जमीन बेचकर और कर्ज लेकर हमने 50 लाख का इंतजाम किया था। अब वह वापस आ गया है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि बेटे के आने की खुशी मनाएं या कर्ज में डूबने का मातम मनाएं। बेटा घर लौट आया है, ये अच्छी बात है लेकिन कर्ज कैसे उतारेंगे, घर कैसे चलाएंगे, बस यही चिंता खाए जा रही।
देवरानी-जेठानी ने जमीनें बेच कर दोनों बेटों को भेजा था अमरीका
वहीं, गुरदासपुर के नजदीकी गांव खानोवाल की 2 महिलाओं देवरानी व जेठानी ने अपनी जमीनें बेच कर दोनों बेटों को अमरीका भेजा था। अपने दोनों बेटों के डिपोर्ट होते ही दोनों की आंखें नम हो गई हैं। जेठानी बलविन्द्र कौर तथा देवरानी गुरप्रीत कौर ने बताया कि उन्होंने अपनी जमीन, प्लाट और रिश्तेदारों से लाखों रुपए लेकर एक एजैंट को 45 लाख रुपए देकर अपने बेटों को अमरीका भेजा था। अमरीका में रहने वाले गांव रुडियाना के एजैंट ने मेरे बेटे व मेरी देवरानी के बेटे को अमरीका भेजने के लिए 45 लाख रुपए लिए थे। मैंने अपने बेटे हरजीत को अमरीका भेजने के लिए अपनी 2 एकड़ जमीन बेच दी थी और उसे 45 लाख रुपए में विदेश भेजा था, लेकिन आज जब हमारे बच्चे देश में वापस आ रहे हैं तो हमें समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें, क्योंकि हमारे पास अब कुछ नहीं बचा। अब घर कैसे चलेगा यही गम सता रहा है। उन्होंने सरकार से मदद करने की अपील की है।
नशे के डर से बेटे को भेजा था अमेरिका
कुछ ऐसी ही कहानी अमृतसर के गांव बंडाला के परिवार की भी है। नशे के बढ़ते प्रकोप के डर से मां-बाप ने जिस बेटे को मेहनत की कमाई करने के लिए अमरीका भेजा था, आज वह खाली हाथ लौटा है। अमेरिका से डिपोर्ट हुए जतिंदर सिंह के पिता गुरबचन सिंह व मां हरजिंदर कौर ने बताया कि हमने उसे नशे के कारोबार के डर से 45 लाख रुपए कर्ज लेकर अमरीका भेजा था। दिल्ली से एजैंट प्रदीप सिंह ने हमें कहा था कि आपके बेटे को ‘एक नंबर’ यानी वैध तौर पर भेजा जाएगा, लेकिन उसने कोरियर के जरिए भेजा था, जो 5 महीने पहले घर से चला गया था। उसे अमरीका आए अभी 20 दिन ही हुए थे पकड़ा गया। उन्होंने एक जमीन का भी टुकड़ा बेचा था और इसके अतिरिक्त इसकी कीमत उन्होंने अपनी बेटी के विवाह के आभूषण बेचकर चुकाई थी। हमारी एक बेटी की शादी होने वाली है और मौजूदा समय में हमारे पास फिलहाल कुछ भी बचा दिखाई नहीं दे रहा है।
ए.एस.आई. के बेटे-बहू की उम्मीदें टूटी
इस बार अमरीका से डिपोर्ट किए 119 भारतीयों में फिर डेराबस्सी के गांव जौला खुर्द के पति-पत्नी शामिल हैं। गुरप्रीत सिंह और अमनप्रीत कौर का डेढ़ साल पहले ही विवाह हुआ था। 8 महीने से कई मुल्कों से भटकते हुए अवैध रूप से अमरीका घुसने के बाद वहां की पुलिस ने पकड़ लिया और दोनों को वापस इंडिया भी डिपोर्ट कर दिया। गुरप्रीत सिंह के पिता जसविंदर सिंह पंजाब पुलिस में बतौर ए.एस.आई. तैनात हैं। आज माता-पिता बेटे-बहू को लेने अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचे थे। परिवार ने एक बेहतर खुशहाल जिंदगी जीने की लालसा में उन्हें विदेश भेजा लेकिन दोनों के डिपोर्ट हाेने से उनकी उम्मीदें टूट गई हैं।
रिपोर्ट: मोनी देवी
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