आज देश भर में गुरु नानक जयंती का उत्सव मनाया जा रहा है। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 में तलवंडी (अब पश्चिम पाकिस्तान) में हुआ था। आज गुरु नानक जी की 555वीं जयंती मनाई जा रही है। बता दें गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक है। उन्हें सिख समुदाय के पहले गुरु के रूप में भी पूजा जाता है।
यह त्योहार हर साल कार्तिक पूर्णिमा को ही मनाया जाता है। गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। अगर आप भी आज के पावन पर्व पर दिल्ली के फेमस गुरुद्वारों के दर्शन करना चाहते हैं तो इन 5 जगहों पर जाना ना भूलें। इन गुरुद्वारों की शांति और खूबसूरती यहां आने वालों को अपनी तरफ हमेशा आकर्षित करती रहती है।
गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारा है, जो कनॉट प्लेस में स्थित है। गुरुद्वारा बंगला साहिब गुरु हर किशन जी को समर्पित है। यहां की शांत झील और सुंदर सजावट भक्तों को शांति प्रदान करती है।
गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब संसद भवन और राष्ट्रपति भवन के पास स्थित है। गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर जी को समर्पित है। यहीं पर नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर का 1675 में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा फांसी दिए जाने के बाद अंतिम संस्कार किया गया था।
गुरुद्वारा शीश गंज साहिब चांदनी चौक में स्थित है। यह गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर के बलिदान को समर्पित है। शीश गंज साहिब गुरुद्वारा दिल्ली के सबसे पुराने गुरुद्वारों में से एक है। यहां संगत में हिस्सा लेने और कीर्तन सुनने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं।
गुरुद्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर दिल्ली के फेमस गुरुद्वारों में से एक है। ये गुरुद्वारा दक्षिणी दिल्ली के महरौली इलाके में कुतुब मीनार के पास स्थित है। गुरुद्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर को समर्पित है, जो एक सिख सैन्य कमांडर और दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के शिष्य थे। माना जाता है जहां बाबा बंदा सिंह बहादुर ने 1710 में मुगलों के खिलाफ यहां अपनी आखिरी लड़ाई लड़ी थी।
गुरुद्वारा मोती बाग साहिब दिल्ली के धौला कुआं के पास स्थित है। गुरुद्वारा मोती बाग साहिब प्राचीन सफेद संगमरमर से बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपनी सेना के साथ इसी स्थान पर डेरा डाला था।