पाकिस्तान बीते कई दिनों से भीषण बाढ़ की चपेट में है। मानसूनी बारिश से अचानक आई बाढ़ और इससे जुड़ी दूसरी घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,391 हो गई है और इसके अलावा 12,722 अन्य घायल हुए हैं।
एनडीएमए की आंकड़ों के अनुसार, पूरे देश में बारिश से 17,39,166 घर क्षतग्रिस्त हो चुके हैं और करीब 754,708 मवेशी मारे गए हैं। इसके अलावा अब तक 177,265 लोगों को बचाया गया है और 6,63,869 अन्य लोग वर्तमान में शिविरों में रह रहे हैं।
पाकिस्तान के बड़े इलाके में आई भीषण बाढ़ में लाखों एकड़ भूमि में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। इस स्थिति में देश की अर्थव्यवस्था को करीब 18 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचने का अंदेशा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ की वजह से 80 लाख एकड़ से अधिक फसल बरबाद हो गई है। इसके अलावा 3.3 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित भी हुए हैं।
बारिश और बाढ़ के चलते बेघर होने की पीड़ा के बीच नवजात बच्चों की सेहत को लेकर चिंता बढ़ गई है। वहीं उन परिवारों के लोग भी चिंतित हैं, जिन घरों की महिलाएं गर्भवती हैं।
पाकिस्तान में WHO के प्रतिनिधि डॉ. पलिता गुणरत्ना महिपाल ने बताया कि सबसे बड़ी चिंता उन 12 लाख गर्भवती महिलाओं की है, जो इन दिनों बाढ़ की वजह से बनाए गए अस्थायी कैंपों में रहने को मजबूर हैं।
पाकिस्तान में WHO के प्रतिनिधि डॉ. पलिता गुणरत्ना महिपाल ने बताया कि सबसे बड़ी चिंता उन 12 लाख गर्भवती महिलाओं की है, जो इन दिनों बाढ़ की वजह से बनाए गए अस्थायी कैंपों में रहने को मजबूर हैं।
गुतारेस ने कहा कि ऐसी आपदाओं की मार उन देशों पर पड़नी चाहिए जो जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। गुतारेस ने कहा, 'मानव जाति ने प्रकृति के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी है और प्रकृति पलटवार कर रही है। लेकिन प्रकृति दृष्टिबाधित है।