1978 का ये वो साल था जब उनकी तीन फिल्मों ने धर्मेंद्र, विनोद खन्ना जैसे एक्टर्स की फिल्मों को पीछे छोड़ दिया। इस साल अमिताभ की एक नहीं बल्कि तीन फिल्में टॉप पर थीं।
1970 हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा दशक था जब अमिताभ बच्चन नाम के सितारे ने अपनी फिल्मों के जरिए ऑडियंस के दिलों पर राज करना शुरू किया था। इस दशक में अधिकतर साल ऐसे रहे जब अमिताभ की फिल्में टॉप पर होती थीं। उनके आगे राजेश खन्ना, धर्मेंद्र जैसे एक्टर की फिल्में भी पिछड़ती जा रही थीं और नए एक्टर को जगह नहीं मिल रही रही।
इस दशक में अमिताभ के करियर के लिए 1978 सबसे खास साल था। इस साल आई उनकी करीब चार से पांच छोटी बड़ी फिल्में आई थीं जिनमें से तीन सबसे शानदार फिल्में साल की टॉप 3 में शामिल थीं। अमिताभ की इन फिल्मों ने धर्मेंद्र जैसे सुपरस्टार की फिल्मों के आगे भी अपने स्टारडम के आगे टिकने नहीं दिया था।
1978 में अमिताभ बच्चन ने तीन शानदार फिल्में दीं, जिनके नाम हैं मुकद्दर का सिकंदर, डॉन और त्रिशूल। ये तीनों ही फिल्में इतनी शानदार थी कि कोई दूसरी बड़े से बड़े बजट और स्टारकास्ट की फिल्म इनकी कमाई से आगे बढ़ नहीं पाई। ये अमिताभ के करियर का गोल्डन समय था।
मुकद्दर का सिकंदर, 27 अक्टूबर 1978 को रिलीज हुई थी। फिल्म को प्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया था, कहानी लिखी थी कादर खान ने। फिल्म में रेखा और अमिताभ पर फिल्माए गाने जबरदस्त हिट थे। राखी के साथ अमिताभ के किरदार सिकंदर की सीक्रेट लवस्टोरी ऑडियंस ने पसंद की थी। फिल्म का बजट एक करोड़ था लेकिन कमाई 26 करोड़ से ज्यादा थी। ये उस साल की सबसे बड़ी ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्म थी।
त्रिशूल, 5 मई 1978 को रिलीज हुई अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार और शशि कपूर की फिल्म त्रिशूल एक शानदार कहानी पर बेस्ड थी फिल्म ने ऑडियंस को खास इम्प्रेस किया था और अमिताभ बच्चन की परफॉरमेंस को दुनियाभर में सराहा गया। यश चोपड़ा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म की कहानी सलीम-जावेद ने लिखी। त्रिशूल पर मेकर्स ने सिर्फ 88 लाख खर्च किए थे और इसकी कमाई 11 करोड़ से ज्यादा थी।
अमिताभ बच्चन के करियर के लिए डॉन मील का पत्थर साबित हुई। ये फिल्म 12 मई 1978 को रिलीज हुई थी। यानी त्रिशूल के रिलीज के अगले हफ्ते ही। ये उस साल की तीसरी सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर थी जिसके डायलॉग आज तक याद हैं। फिल्म को चंद्रा बारोट ने डायरेक्ट किया था और ये फिल्म करीब 70 लाख में बनी थी। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 7 करोड़ कमाए थे।
अमिताभ बच्चन की इन फिल्मों ने उसी साल आई धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की सुपरहिट फिल्म आज़ाद को टक्कर दी थी। ये उस साल की चौथी सबसे बड़ी फिल्म थी लेकिन अमिताभ की इन तीन जबरदस्त फिल्मों के आगे टिक नहीं पाई।
मैं तुलसी तेरे आंगन की, विनोद खन्ना की सबसे शानदार फिल्मों में से एक माना जाता है। उस समय विनोद भी अपनी अलग पहचान बना रहे थे। इस फिल्म में उन्हें सुपरस्टार नूतन और आशा पारेख जैसी दो हीरोइन के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए देखा गया था। लेकिन ये फिल्म पांचवें स्थान पर ही रही।