तुलसी को हरिप्रिया कहा जाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी दोनों को प्रिय हैं। अगर आप ठाकुर जी को भोग लगाते हैं, तो तुलसी आपके घर में होनी चाहिए, क्योंकि भगवान तुलसी के बिना भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
स्कन्द पुराण के ही अनुसार बासी फूल और बासी जल से पूजा नहीं करनी चाहिए। इनसे पूजा वर्जित मानी जाती है। लेकिन तुलसी अगर तोड़कर रखी हो, तो इसे बासी नहीं माना जाता।यह कभी अपवित्र नहीं मानी जाती है। तुलसीदल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं हैं।
तुलसी की पूजा रोज सुबह शाम करनी चाहिए। अगर सुबह नहीं जला सकते हैं, तो शाम को तुलसी में दीपक रोज जलाना चाहिए। इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। इसके अलावा तुलसी माता की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए।
तुलसी को अशुद्ध अवस्था में नहीं छूना चाहिए। इसके पास गंदे कपड़े सुखाने और चप्पल पहनकर निकलने से तुलसी सूख जाती है। तुलसी पर रोज दीपकदान करने से नर्क जाने से मुक्ति मिलती है। इसलिए तुलसी को रोज शाम को दीपदान करना चाहिए। रविवार को तुलसी में जल भी नहीं देना चाहिए और इस दिन पत्ती भी नहीं तोड़नी चाहिए।
घर में अगर तुलसी का पौधा है, तो तुलसी महारानी हमें बता देती है कि सुख आएगा या दुख आएगा। बार-बार जल जाने के बाद भी तुलसी सूख रही है। पूजन - पाठ के बाद भी सूख रही है। इससे पता चलता है कि घर में कोई परेशानी आने वाली है।
सबसे पहली नजर तुलसी को लगती है। इसलिए तुलसी का पौधा सबसे पहले सूखता है। तुलसी ऐसा भी कहा जाता है कि तुलसी की जड़ में हल्दी और गंगाजल डालने से भी तुलसी खराब नहीं होती और सूखने से बच जाती है।