सनातन धर्म में सुख-समृद्धि और जीवन में खुशहाली के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। वास्तु शास्त्र में दिशा और स्थिति का खास ध्यान रखा जाता है। वास्तु के मुताबिक, पितृ पक्ष में भी जातकों को वास्तु के कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। चलिए जानते हैं...
श्राद्ध पक्ष के दौरान रोजाना मुख्यद्वार पर जल चढ़ाना चाहिए और मेनगेट की साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही शाम के समय दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए।
पितृ पक्ष में पितरों की कृपा पाने और घर की सुख-समृद्धि के लिए शमी, मनी प्लांट या फिर तुलसी का पौधा लगाना बेहद शुभ माना जाता है।
पितरों की तस्वीर को हमेशा दक्षिण दिशा में लगाना शुभ होता है। साथ ही घर के बेडरूम, पूजा घर और किचन में पितरों की तस्वीर कभी ना लगाएं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से धन हानि के योग बनते हैं।
वास्तु के मुताबिक, पितर पक्ष के दौरान घर की दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में तिजोरी रखना शुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए पितृ पक्ष में घर के शीशे के वास्तु का भी खास ध्यान रखें। इस दौरान घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व दीवार पर शीशा लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन का आगमन बढ़ता है।
मान्यता है कि पितर पक्ष के दौरान पशु-पक्षियों को अन्न और जल देना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पितृ पक्ष के दौरान पीपल के पेड़ पर नियमित जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही शाम को रोजाना पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक भी जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
वास्तु के अनुसार, घर की सकारात्मक ऊर्जा के लिए श्राद्ध पक्ष में एक कटोरे में गंगाजल और तुलसी की पत्तियां मिला लें। इसके बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की नेगेटिविटी दूर होती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।