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पुरी के स्वर्गद्वार में अब गाय के गोबर से होगा अंतिम संस्कार! क्या प्लान बना रही सरकार

  • पुरी के पवित्र स्वर्गद्वार में अब शव दाह के लिए गोबर के उपलों का इस्तेमाल हो सकता है। सरकार का कहना है कि मैनेजमेंट कमेटी से सलाह के बाद इस फैसले को लागू किया जाएगा।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानFri, 1 Nov 2024 07:41 AM
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ओडिशा के पुरी में 'स्वर्गद्वार' श्मशान में अब अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी की जगह गोबर के उपलों का इस्तेमाल किया जाएगा। ओडिशा सरकार में मंत्री गोकुलानंद मलिक ने कहा, हम लोगों से यही अपील करते हैं कि वे गोबर से बने बायोफ्यूल का इस्तेमाल करें। हिंदू धर्म में गाय के गोबर की बहुत मान्यता है। अंतिम संस्कार में अगर इसका इस्तेमाल किया जाएगा तो पर्यावरण को बचाने में भी मदद मिलेगी। हालांकि इसको लेकर अभी सरकार ने अंतिम फैसला नहीं लिया है।

मलिक ने कहा कि सरकार पहले स्वर्गद्वार की मैनेजमेंट कमेटी से सलाह लेगी। इसके अलावा सरकार भी उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों वाली एक समिति गठित करेंगे। उन्होंने कहा, अगर गाय के गोबर का इस्तेमाल शव दाह के लिए किया जाता तो गायों की रक्षा भी होगी और राज्य में गोशालाओं का भी निर्माण होगा। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्शन में भी वृद्धि होगी।

बता दें कि हिंदू धर्म में स्वर्गद्वार को अंतिम संस्कार के लिए बहुत पवित्र माना जाता है। यह सातों दिन 24 घंटे खुला रहता है। यहां कम से कम 40 शवों का अंतिम संस्कार रोज होता है। वहीं जगन्नाथ संस्कृति के रिसर्चर नरेश दास ने कहा कि हिंदू धर्म के मुताबिक अंतिम संस्कार में केवल लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर सरकार अंतिम संस्कार के लिए गाय के गोबर के उपले अनिवार्य कर देती है तो इससे लोगों की भावनाएं आहत होंगी।

वहीं भगवान जगन्नाथ मंदिर में वरिष्ठ सेवादार बिनायक दासमोहापात्रा ने कहा कि पुरी के स्वर्गद्वार के तरीके अलग हैं। यहां पर शव दाह के लिए बिजली का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों को ही पवित्र माना जाता है और इसमें दखल देने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। बता दें कि स्वर्गद्वार स्वामी जगन्नाथ के मंदिर से लगभग एक मील की दूरी पर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि यहां महान वैष्णव संत श्री चैतन्य स्नान करने आया करते थे और यहां स्नान करने से पाप नष्ट हो जाते हैं।

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