Hindi Newsएनसीआर न्यूज़You lost due to curse of Yamuna, Delhi LG V K Saxena tells Atishi Marlena

आप यमुना के श्राप के कारण हारे, आतिशी से बोले एलजी वीके सक्सेना

आप यमुना मईया के श्राप के कारण हारे हैं, दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने रविवार को अपना इस्तीफा सौंपने राजभवन गईं निवर्तमान सीएम आतिशी से कथित तौर पर यह बात कही। एलजी ने आतिशी से कहा कि अरविंद केजरीवाल को यमुना के श्राप के बारे में चेतावनी दी थी।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 10 Feb 2025 06:33 AM
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आप यमुना के श्राप के कारण हारे, आतिशी से बोले एलजी वीके सक्सेना

आप यमुना मईया के श्राप के कारण हारे हैं, दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने रविवार को अपना इस्तीफा सौंपने राजभवन गईं निवर्तमान सीएम आतिशी से कथित तौर पर यह बात कही। सूत्रों ने यह भी बताया कि एलजी ने आतिशी से कहा कि उन्होंने उनके बॉस अरविंद केजरीवाल को यमुना के श्राप के बारे में चेतावनी दी थी, क्योंकि उन्होंने नदी की सफाई के लिए एक परियोजना को सुप्रीम कोर्ट से रुकवा दिया था।

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टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, राजभवन के सूत्रों के अनुसार आतिशी ने एलजी की बात का कोई जवाब नहीं दिया। टीओआई द्वारा संपर्क किए जाने पर एलजी सचिवालय ने सक्सेना और आतिशी की इस बातचीत पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

यमुना पर हाईलेवल कमेटी पर सुप्रीम कोर्ट की रोक 2 साल से अधिक समय से लागू

‘श्राप’ के बारे में चेतावनी की जड़ें दो साल पहले सक्सेना और केजरीवाल के बीच गतिरोध जुड़ी हैं। यमुना में प्रदूषण के बढ़े स्तर को देखते हुए जनवरी 2023 में, एनजीटी ने नदी के कायाकल्प की निगरानी के लिए एलजी के अधीन एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया था। जैसे ही इस पैनल ने अपना काम शुरू किया, केजरीवाल ने अपना समर्थन जताया और मदद की पेशकश की। हालांकि, बाद में दिल्ली सरकार ने एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि एक डोमेन विशेषज्ञ को पैनल का नेतृत्व करना चाहिए। यह रोक अब दो साल से अधिक समय से लागू है।

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ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केजरीवाल के साथ बैठक के दौरान सक्सेना ने ‘आप’ सुप्रीमो से कहा था कि उन्हें यमुना के अभिशाप का सामना करना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के रुख में बदलाव का श्रेय नौकरशाही ने केजरीवाल के इस डर को दिया कि अगर इस प्रोजेक्ट को एलजी के अधीन क्रियान्वित किया गया तो इसका श्रेय ‘आप’ को नहीं मिलेगा। 2015 में केजरीवाल ने पांच साल के भीतर यमुना को साफ करने का वादा किया था, लेकिन ठोस उपाय शुरू करने में विफल रहे। वादे को पूरा करने में उनकी नाकामी चुनाव अभियान में एक बड़ा मुद्दा बन गई। भाजपा ने इस पर उनका मजाक उड़ाया और मतदाताओं को याद दिलाया कि 2025 तक यमुना का पानी इतना साफ हो जाएगा कि वे खुशी-खुशी उसमें डुबकी लगाएंगे। यह बात बिहार, झारखंड और यूपी के प्रवासियों के लिए थी जो छठ पर्व के दौरान लाखों की संख्या में यमुना तट पर जाते हैं।

चुनाव के बाद के विश्लेषणों से पता चलता है कि पूर्वांचल के बड़े हिस्से ने ‘आप’ से अलग होकर भाजपा को वोट दिया, जिसका उन्होंने पिछले दो विधानसभा चुनावों में समर्थन किया था। यह प्रदूषण के बढ़ते संकट का प्रतीक भी बन गया।

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