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यमुना में दिख रहा सफेद झाग कैसे होगा साफ, DJB ने बताया समाधान

दिल्लीवाले प्रदूषण की दोहरी मार से जूझ रहे हैं। एक तरफ वे जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ यमुना के पानी में जहरीला झाग दिखाई दे रहा है। इसने यमुना के पानी को ढका हुआ है खासतौर से कालिंदी कुंज और ओखला बराज पर। दूर से देखने पर झाग ऐसे लगता है जैसे दूध में उबाल आ रहा हो।

Sneha Baluni नई दिल्ली। हिन्दुस्तान टाइम्सThu, 14 Nov 2024 09:00 AM
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दिल्लीवाले प्रदूषण की दोहरी मार से जूझ रहे हैं। एक तरफ वे जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ यमुना के पानी में जहरीला झाग दिखाई दे रहा है। इसने यमुना के पानी को ढका हुआ है खासतौर से कालिंदी कुंज और ओखला बराज पर। दूर से देखने पर यह झाग ऐसे लगता है जैसे दूध में उबाल आ रहा हो। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अधिकारी- जिन्होंने छठ से पहले नदी में एंटी-फोमिंग एजेंट छिड़कने का काम शुरू किया था। अब इससे निपटने के लिए उस स्थान पर परमानेंट मशीन लगाने की वकालत कर रहे हैं।

यमुना में आमतौर पर सर्दियों के दौरान दहरीला झाग दिखता ही है। यह साबुन जैसे सर्फेक्टेंट से बनता है। जिससे पता चलता है कि नदी में बिना ट्रीट किए पानी और औद्योगिक प्रदूषकों को डाल दिया जाता है। डीजेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 21 अक्टूबर को यमुना में झाग को कम करने के लिए सिलिकॉन डाइऑक्साइड-आधारित एंटी-फोमिंग घोल का छिड़काव करने के लिए 15-दिवसीय अभियान शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि यहां एक परमानेंट इंस्टॉलेशन को लगाना चाहिए, जिससे पैसे की बचत होगी और यह अधिक प्रभावी भी होगा।

अधिकारी ने कहा, 'हमने झाग को कम करने के लिए लगभग 13 टन एंटी-फोमिंग एजेंट का इस्तेमाल किया है। हम 540 मीटर लंबे बैराज की लंबाई के साथ स्थायी स्प्रिंकलर के साथ इस्तेमाल किए जा रहे रसायनों के स्तर को लगभग आधे तक कम कर सकते हैं, जिसका उपयोग आवश्यकताओं और पलूशन लोड के अनुसार एंटी-सर्फेक्टेंट को इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे लागत भी कम होगी- हर साल, हम अस्थायी बुनियादी ढांचा स्थापित करते हैं। इस साल चार बार ऐसे मौके आए जब पानी के तेज बहाव के कारण रिएक्शन चैंबर के पास के उपकरण बह गए।'

एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि झाग नियंत्रण में अहम उपलब्धि के लिए ओखला बैराज के ऊपर के तालाब क्षेत्र को वनस्पतियों- खासतौर से जलकुंभी को साफ किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, '15 दिनों (जब झाग-रोधी अभियान चलाया गया) में पानी में कार्बनिक कार्बन की मात्रा बहुत अधिक मिली। जलीय पौधों में फिलामेंटस बैक्टीरिया सर्फेक्टेंट जैसे मॉलीक्यूल छोड़ते हैं जो झाग को बढ़ाते हैं। जलकुंभी की समस्या से निपटने के लिए पूरे साल एक स्थायी मशीन लगाई जानी चाहिए।'

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