दोगुना जल मिले तभी बच सकता है दिल्ली में यमुना का जीवन, DPCC की रिपोर्ट
राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जीवन दोगुना जल मिलने पर ही बच सकता है। यह बात दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में कही गई है।

राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जीवन दोगुना जल मिलने पर ही बच सकता है। यह बात दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक मई जैसे सूखे महीने में भी नदी का नैसर्गिक बहाव (एंवायरमेंटल फ्लो) 23 क्यूमेक्स होना चाहिए। जबकि, अभी नदी का बहाव सिर्फ 10 क्यूमेक्स रहता है। यानी, नैसर्गिक बहाव के लिए कम से कम 13 क्यूमेक्स जल और होना चाहिए। राजधानी से गुजरने वाली एकमात्र बड़ी नदी यमुना है। दिल्ली के सांस्कृतिक और प्राकृतिक जीवन पर यमुना का सदियों से महत्व रहा है। लेकिन, हाल के वर्षों में यमुना का जीवन दिल्ली में समाप्त जैसा हो गया है। दिल्ली के बड़े-बड़े नालों से सीधे यमुना में गिरने वाले गंदे पानी के चलते प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा होता है कि नदी का जलीय जीवन काफी हद तक नष्ट हो चुका है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की के हवाले से बताया गया है कि नदी का एंवायरमेंटल फ्लो बनाए रखने के लिए जितने जल की जरूरत है, उतना नहीं मिल पा रहा है। हथिनी कुंड बैराज से ओखला बैराज के बीच मई जैसे महीने में एंवायरमेंटल फ्लो सिर्फ 10 क्यूमेक्स (क्यूबिक मीटर प्रति सेकेंड) यानी 190 एमजीडी रहता है। जबकि, नदी के ई-फ्लो के लिए जरूरी है कि नदी में 23 क्यूमेक्स यानी 437 एमजीडी जल हो। इस अनुसार, यमुना के ई-फ्लो के लिए जरूरी जल से अभी 13 क्यूमेक्स या 247 एमजीडी जल कम मिल रहा है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के मुताबिक अगर यमुना को 13 क्यूमेक्स जल और मिलता है तो नदी का बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) स्तर 25 से 12 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पर आ सकता है। पता हो कि जल की गुणवत्ता के मामले में बीओडी एक प्रमुख मानक है और इससे यह पता चलता है कि जल में मौजूद सूक्ष्म जीवों को कितने ऑक्सीजन की जरूरत है ताकि वह जल में घुले आर्गनिक मैटर को साफ कर सकें।
तीन परियोजनाओं से उम्मीद
डीपीसीपी ने यमुना पर स्थापित तीन बड़ी परियोजनाओं से जल मिलने की उम्मीद जाहिर की है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के बीच यमुना के जल का वितरण 1994 में हुए समझौते के आधार पर होता है। अब इसके पुनरीक्षण का समय आ गया है। दिल्ली को उम्मीद है कि रेणुका डैम, लखवाड़ डैम और किशाउ डैम परियोजना से यमुना में जल की जरूरत पूरी हो सकती है।
प्रदूषण पर एक नजर
●54 किलोमीटर हिस्सा यमुना का पल्ला से बदरपुर के बीच दिल्ली से गुजरता है
●02 फीसदी हिस्सा ही यमुना की कुल लंबाई का दिल्ली से गुजरता है
●76 फीसदी प्रदूषण यमुना को सिर्फ इसी दो फीसदी हिस्से में मिलता है
●18 बड़े नालों से यमुना में गिरता है गंदा पानी, इन्हीं की रोकथाम का हो रहा प्रयास