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दिल्ली में दाखिल होने के साथ यमुना और जहरीली! खतरनाक स्तर पर पहुंचा मल मूत्र संबंधी पलूशन

Pollution Levels in Yamuna River: दिल्ली में यमुना नदी में पलूशन का स्तर उच्च बना हुआ है। खासतौर पर मल मूत्र संबंधी पलूशन 79 लाख यूनिट प्रति 100 मिली (एमपीएन) तक पहुंच गया है।

Krishna Bihari Singh भाषा, नई दिल्लीWed, 11 Dec 2024 03:00 PM
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दिल्ली में दाखिल होने के साथ यमुना और जहरीली! खतरनाक स्तर पर पहुंचा मल मूत्र संबंधी पलूशन

राष्ट्रीय राजधानी में यमुना को स्वच्छ रखने के सारे वादे और दावे हवा हवाई साबित होते नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि दिल्ली में यमुना जहरीली होने के कगार पर है। यमुना में पलूशन का स्तर काफी बढ़ गया है। खासतौर पर असगरपुर में यमुना में मल मूत्र से होने वाले पलूशन का आंकड़ा प्रति 100 मिली पर 79,00,000 यूनिट (एमपीएन) तक पहुंच गया है। नवंबर के लिए जारी नवीनतम जल गुणवत्ता रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

असगरपुर में बेहद खराब हालात

बता दें कि असगपुर वह क्षेत्र है जहां से यमुना दिल्ली से बाहर निकलती है। दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमेटी (डीपीसीसी) के आंकड़ों से पता चला है कि उक्त आंकड़ा अक्टूबर में दर्ज किए गए खतरनाक स्तर से मेल खाता है। अक्टूबर में यमुना में पलूशन का आंकड़ा दिसंबर 2020 के बाद से सबसे अधिक था।

दिल्ली में दाखिल होते ही जहरीली!

डीपीसीसी की मासिक गुणवत्ता रिपोर्ट में बताया गया है कि पल्ला जहां यमुना दिल्ली में दाखिल होती है। वहां 'फीकल कोलीफॉर्म' 1100 इकाई प्रति 100 मिलीलीटर है। जब यह आगे बढ़ती है जो उसमें मल संबंधी पलूशन बढ़ता चला जाता है। इसकी वजह जलमल वाली नालियों का यमुना में गिरना है। मालूम हो कि डीपीसीसी एनजीटी के निर्देश पर यह रिपोर्ट जारी करती है।

पल्ला डीओ का स्तर स्वीकार्य सीमा के भीतर

नदी के पानी में घुली ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर पल्ला (6.1 मिलीग्राम/लीटर) और वजीराबाद (5.2 मिलीग्राम/लीटर) में स्वीकार्य सीमा के भीतर बताया गया। यह जलीय जीवन को बनाए रखने के लिए जरूरी है। हालांकि, आईएसबीटी पुल पर ऑक्सीजन स्तर घटकर शून्य हो गया है। इतना ही नहीं दिल्ली से बाहर निकलने तक वह शून्य ही रहा।

क्या है फीकल कोलीफॉर्म?

शून्य डीओ स्तर आमतौर पर यह बताता है कि नदी जहरीली हो चुकी है। यह मृत नदी पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है। मल मूत्र संबंधी पलूशन को 'फीकल कोलीफॉर्म' के आधार पर मापा जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, मल मूत्र संबंधी पलूशन का मापक 'फीकल कोलीफॉर्म' की मान्य सीमा प्रति 100 मिलीलीटर पर 2500 इकाई है।

2020 में उच्चतम स्तर पर था मल मूत्र संबंधी पलूशन

अंतिम बार दिसंबर 2020 में मल मूत्र संबंधी पलूशन का उच्चतम स्तर रिकॉर्ड किया गया था। तब 'फीकल कोलीफॉर्म' प्रति 100 मिलीलीटर पर 120 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया था। अब यह आंकड़ा प्रति 100 मिली पर 79,00,000 यूनिट (एमपीएन) तक पहुंच गया है।

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