दिल्ली में पानी की किल्लत, यमुना में बढ़ा अमोनिया का स्तर; DJB ने क्या दिया लेटेस्ट अपडेट
दिल्ली की यमुना नदी में दिख रहे जहरीले झाग की वजह से पानी में अमोनिया का स्तर काफी बढ़ गया है। दिल्ली जल बोर्ड ने सोमवार को कहा कि यमुना से निकाले जा रहे पानी में अमोनिया का स्तर 0.9-1 पीपीएम दर्ज किया गया है, जो कि एक दिन पहले 1.5 पीपीएम के कंसन्ट्रेशन से बेहतर है।
दिल्ली की यमुना नदी में दिख रहे जहरीले झाग की वजह से पानी में अमोनिया का स्तर काफी बढ़ गया है। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने सोमवार को कहा कि यमुना से निकाले जा रहे पानी में अमोनिया का स्तर 0.9-1 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) दर्ज किया गया है, जो कि एक दिन पहले 1.5 पीपीएम के कंसन्ट्रेशन से बेहतर है। अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ, डीजेबी के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) अब बेहतर क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।
हालांकि, जल बोर्ड ने चेतावनी दी है कि ऊपरी गंगा नहर में निर्धारित रखरखाव कार्य पूरा होने के एक दिन बाद एक नवंबर तक पानी की आपूर्ति स्थिर नहीं रहेगी। यमुना में अमोनिया का हाई लेवल इसके पानी में हाई इंडस्ट्रियल लोड या सीवेज का संकेत है। डीजेबी के प्लांट क्लोरीन के जरिए पानी में एक पीपीएम तक अमोनिया को ट्रीट कर सकते हैं। लेकिन इस लेवल से ज्यादा क्लोरीनीकरण से टॉक्सिक क्लोरैमाइन कंपाउंड बनते हैं। इस प्रकार, जब भी अमोनिया का लेवल 1 पीपीएम के निशान को पार करता है - जैसा कि पिछले कुछ दिनों में हुआ है- ट्रीटमेंट प्लांट में पानी के प्रोडक्शन प्रभावित होता है।
इसके अलावा, अपर गंगा नहर में रखरखाव का काम चल रहा है, जो भागीरथी और सोनिया विहार डब्ल्यूटीपी को पानी सप्लाई करती है। इसका मतलब है कि इन दो प्रमुख प्लांट को पानी के प्रोडक्शन के लिए यमुना पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन यमुना में अमोनिया के हाई लेवल के कारण, रविवार को इन दोनों डब्ल्यूटीपी में प्रोडक्शन 30 फीसदी तक कम हो गया था।
डीजेबी के एक अधिकारी ने कहा, 'प्लांट अब अधिकतम क्षमता पर काम कर रहे हैं। पानी में अभी भी प्रदूषण का स्तर है, लेकिन हम स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं।' हालांकि, वसंत कुंज और आनंद विहार जैसे अंतिम छोर के इलाकों के निवासियों ने शिकायत की कि उन्हें अभी भी पानी की कमी और प्रदूषण की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वसंत कुंज आरडब्ल्यूए फेडरेशन के प्रमुख राजेश पंवार ने कहा, 'दबाव बहुत कम था और स्थानीय जलाशय ठीक से भर नहीं पाए। हमें पर्याप्त टैंकर भी नहीं मिले। त्योहारी सीजन में ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए।'