केजरीवाल के बाद क्यों 'आतिशी पारी', गोपाल और गहलोत जैसे कई नेताओं पर कैसे तरजीह
- अरविंद केजरीवाल ने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए ही साफ कर दिया था कि मनीष सिसोदिया भी नहीं चाहते कि जब तक उन पर ऐसा दाग है, वह कुर्सी संभालें। मनीष सिसोदिया भी जनता की अदालत से क्लीन चिट होने के बाद ही लौटना चाहते हैं।
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले हैं। इससे पहले आतिशी का नाम उनके उत्तराधिकारी के तौर पर तय किया गया है, जो दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने तक कमान संभालेंगी। अरविंद केजरीवाल ने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए ही साफ कर दिया था कि मनीष सिसोदिया भी नहीं चाहते कि जब तक उन पर ऐसा दाग है, वह कुर्सी संभालें। मनीष सिसोदिया भी जनता की अदालत से क्लीन चिट होने के बाद ही लौटना चाहते हैं। इस तरह अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में ही साफ कर दिया था कि मनीष सिसोदिया भी कमान नहीं संभालेंगे।
अरविंद केजरीवाल और सिसोदिया के बाद भी कैलाश गहलोत और गोपाल राय जैसे कई ऐसे सीनियर नेता थे, जिन पर विचार किया जा सकता था। फिर भी 43 साल की आतिशी को ही क्यों कमान सौंपी गई। जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण हैं…
दिल्ली सरकार की कैबिनेट में आतिशी अकेली महिला मुख्यमंत्री थीं। अरविंद केजरीवाल जब जेल में रहे तो उन्होंने कई अहम मंत्रालयों को बिना किसी विवाद के संभाला। इससे अरविंद केजरीवाल का उन पर भरोसा बढ़ा है। यही नहीं वह उन चुनिंदा नेताओं में से एक रही हैं, जो अरविंद केजरीवाल के जेल जाने और ताबड़तोड़ छापों के बीच भी वह लगातार सक्रिय रहीं। भाजपा पर हमला बोलने में भी वह आगे रहीं। यही नहीं इस दौरान कभी ऐसा नहीं लगा कि वह अपने कद से ज्यादा आगे बढ़कर कुछ फैसला लेना चाहती हैं। उनके इस व्यवहार ने अरविंद केजरीवाल का उन पर भरोसा मजबूत किया।
आतिशी एक कुशल और सौम्य वक्ता मानी जाती हैं। महिला होने के नाते उन पर हमला करना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। एक महिला सुनीता केजरीवाल भी हो सकती थीं, लेकिन उन्हें आगे बढ़ाने से अरविंद केजरीवाल पर परिवारवाद का आरोप लगता। उससे बचने के लिए उन्होंने आतिशी को ही प्रमोट करने का फैसला लिया है। उच्च शिक्षित आतिशी आम आदमी पार्टी के शुरुआती दौर से ही जुड़ी रही हैं। पहले भी जब बगावत हुई थी तो आतिशी ने अरविंद केजरीवाल का खेमा नहीं छोड़ा था।
कई नेताओं पर दाग, पर आतिशी आरोपों से अब तक दूर
शराब घोटाला, दिल्ली जल बोर्ड घोटाला समेत कई मामलों में आम आदमी पार्टी के नेता घिर रहे हैं। ऐसे कम ही नेता हैं, जिन पर कोई दाग न हो। उन नेताओं में से एक आतिशी भी हैं। आतिशी पर अब तक किसी घोटाले का आरोप नहीं है। यही नहीं महिला होने के नाते उन्हें घेरना अब भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। वह पंजाबी समुदाय से आती हैं, जिसका एक बड़ा वर्ग भाजपा के साथ रहा है। ऐसे में आतिशी को प्रमोट कर आम आदमी पार्टी ने भाजपा के एक और वोट बैंक पर सीधा निशाना साधा है।
पार्टी में गुटबाजी से परे, अच्छे से संभाला शिक्षा जैसा विभाग
आतिशी पर अब तक पार्टी में ही किसी से टकराव के आरोप नहीं लगे हैं। वह गुटबाजी से परे मानी जाती हैं। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के जेल जाने के बाद सौरभ भारद्वाज और आतिशी का प्रमोशन हुआ था। दोनों मंत्री बने थे। आतिशी को एजुकेशन, फाइनेंस, योजना, पीडब्ल्यूडी, जल, ऊर्जा और जनसंपर्क जैसे अहम मंत्रालय आतिशी को मिले थे। इन सभी विभागों को उन्होंने प्रभावशाली तरीके से संभाला। माना जाता है कि इससे भी अरविंद केजरीवाल का भरोसा उन पर बढ़ा है। खासतौर पर मनीष सिसोदिया के जेल में रहने के दौरान भी उन्होंने स्कूलों का कामकाज बहुत प्रभावी तरीके से देखा।