कौन थे राजा नाहर सिंह, जिनके नाम पर नजफगढ़ का नाम बदलने की रखी मांग, 36 साल की उम्र में दिया था बलिदान
दिल्ली विधानसभा में सत्र के दौरान नजफगढ़ से चुनकर पहली बार सदन पहुंची विधायक नीलम पहलवान ने एक ऐसी मांग की जिसका पार्टी नेताओं ने तालियां बजाकर समर्थन किया। उन्होंने नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ रखने का प्रस्ताव रखा।
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दिल्ली विधानसभा में सत्र के दौरान नजफगढ़ से चुनकर पहली बार सदन पहुंची विधायक नीलम पहलवान ने एक ऐसी मांग की जिसका पार्टी नेताओं ने तालियां बजाकर समर्थन किया। उन्होंने नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ रखने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि आलम द्वितीय के समय में नजफगढ़ को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 1857 के विद्रोह के दौरान राजा नाहर सिंह ने लड़ाई लड़ी और नजफगढ़ क्षेत्र को दिल्ली के क्षेत्र में शामिल किया। उन्हीं के नाम पर इस क्षेत्र का नाम नाहरगढ़ कराने की लंबे समय से कोशिश की जा रही है।
कौन थे राजा नाहर सिंह
राजा नाहर सिंह को अंग्रेजों ने मुगल बादशाह जफर के जरिए संधि के बहाने दिल्ली बुलाया और चांदनी चौक में फांसी पर लटका दिया था। उन्हें यह सजा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने की वजह से दी गई थी। अंग्रेजों के मन में उनके लिए गुस्सा था, वे उनसे बदला लेना चाहते थे। इसी वजह से 9 जनवरी 1858 में भारत माता के वीर सपूत राजा नाहर सिंह और उनके सेनापतियों को चांदनी चौक में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
बल्लभगढ़ रियासक के थे अंतिम राजा
राजा नाहर सिंह बल्लभगढ़ रियात के आखिरी राजा थे। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी आंदोलनकारी के तौर पर उनकी पहचान थी। उन्होंने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की खुलकर मदद की थी। इसी वजह से अंग्रेजों के मन में उनके लिए गुस्सा और बैर था। उन्होंने बहादुर शाह जफर से संधि करने के बहाने राजा नाहर सिंह और उनके सेनापति गुलाब सिंह, भूरा सिंह और खुशयाल सिंह को दिल्ली बुलाया। उनके आने पर सभी को धोखे से बंदी बना लिया गया। गिरफ्तार करके उनपर इलाहाबाद कोर्ट में लूट का मुकदमा चलाया। इसके बाद उन्हें और उनके सेनापतियों को दोषी ठहराकर फांसी की सजा सुनाई गई। 9 जनवरी 1858 में केवल 36 साल की उम्र में राजा नाहर सिंह और उनके तीन सेनापतियों को चांदनी चौक में फांसी दे दी गई।
पूर्व में भी प्रयास किए गए
नजफगढ़ से भाजपा विधायक नीलम पहलवान ने कहा कि प्रवेश वर्मा के सांसद रहने के दौरान भी उन्होंने नाम बदलवाने का प्रयास किया था। वहीं, भाजपा विधायक कैलाश गहलोत ने कहा कि अगर स्थानीय लोग नाम बदलना चाहते हैं तो नाम बदला जाना चाहिए। कैलाश गहलोत पूर्व में नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे हैं। अभी वे बिजवासन से विधायक हैं।