ऐसा हुआ तो हम नहीं देगे वोट; बवाना के 15 गांवों ने क्यों दी चुनाव बहिष्कार की धमकी, किसका कर रहे विरोध
दिल्ली में जहां एक ओर चुनावी दंगल चल रहा है। वहीं दूसरी ओर बवाना के 15 गांवों के लोगों ने चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है।
दिल्ली में जहां एक ओर चुनावी दंगल चल रहा है। वहीं दूसरी ओर बवाना के 15 गांवों के लोगों ने चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है। यह कदम उन्होंने प्रस्तावित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को लेकर उठाया है। स्थानीय लोगों ने पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं जताई हैं। वहीं एक वर्ग ने धमकी दी है कि यदि परियोजना आगे बढ़ी तो वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ेंगी
दरअसल, प्लांट की योजना डीएसआईडीसी सेक्टर 5 में खतरनाक वेस्ट के ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोसल फैसिलिटी (टीएसडीएफ) के पास 15 एकड़ भूमि पर बनाई गई है। पीटीआई से बात करते हुए, आसपास के 15 से अधिक गांवों के लोगों ने दावा किया है कि इस परियोजना के परिणामस्वरूप पेड़ खत्म हो जाएंगे, वायु और जल प्रदूषण बढ़ेगा और सांस संबंधी बीमारियों के साथ-साथ न्यूरोलॉजी संबंधी बीमारियां बढ़ेंगी। प्लांट की वजह से दीर्घकालिक (लॉन्ग टर्म) स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होंगी।
पहले ही प्रदूषण से जूझ रहे
लोगों ने यह भी तर्क दिया कि वेसट-टू-एनर्जी (डब्ल्यूटीई) प्लांट से निकलने वाले उत्सर्जन, जैसे डाइऑक्सिन, फ्यूरान, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और पीएम 10), और यहां तक कि पारा (मर्करी) और सीसा (लेड) जैसी भारी धातुएं न केवल वायु की गुणवत्ता को खराब करेंगी, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी खतरे में डालेंगी। नरेला विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सनोथ गांव के निवासी राजपाल सैनी ने पीटीआई को बताया, 'इस प्लांट से निकलने वाले जहरीले उत्सर्जन से हमारी जान जोखिम में पड़ जाएगी। हम पहले से ही आस-पास की फैक्ट्रियों और अन्य डब्ल्यूटीई प्लांट्स से होने वाले प्रदूषण से जूझ रहे हैं। यह इसे असहनीय बना देगा।'
कैसे मान लें नया प्लांट होगा अलग
वहीं अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि प्रस्तावित डब्ल्यूटीई प्लांट में सभी आवश्यक प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियां होंगी। हालांकि स्थानीय लोगों ने क्षेत्र में मौजूद डब्ल्यूटीई प्लांट्स में राख के कुप्रबंधन और आस-पास के समुदायों को प्रभावित करने उच्च स्तर के खतरनाक प्रदूषकों के उदाहरण पेश किए हैं। क्षेत्र में इसी तरह की डब्ल्यूटीई प्लांट के ट्रैक रिकॉर्ड का जिक्र करते हुए, एक अन्य निवासी मांगे राम ने कहा, 'ओखला डब्ल्यूटीई प्लांट इसका प्रमुख उदाहरण है। खतरनाक राख और विषाक्त उत्सर्जन ने आसपास के क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हम कैसे भरोसा कर सकते हैं कि यह संयंत्र अलग होगा?'
पेड़ों का खत्म होना स्वीकार नहीं
बवाना की जेजे कॉलोनी के निवासी राम चंद्रन ने पीटीआई को बताया, 'इस 15 एकड़ भूमि पर बड़े-बड़े पेड़ हैं जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अहम हैं। प्रदूषण बढ़ाने वाली परियोजना के लिए इन पेड़ों को नष्ट करना अस्वीकार्य है।' निवासियों ने आगे आरोप लगाया कि सनोथ गांव, जेजे कॉलोनी, सीआरपीएफ कैंप और वायु सेना स्टेशन सहित प्रमुख आबादी वाले क्षेत्रों को पर्यावरण संवेदनशीलता रिपोर्ट से बाहर रखा गया है। जेजे कॉलोनी की सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिंह ने कहा, 'विकास हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण की कीमत पर नहीं होना चाहिए।'