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वो UP के रहने वाले, दिल्ली में नहीं दे सकते मुफ्त इलाज; AAP सरकार के रुख पर HC ने लगाई फटकार

उच्च न्यायालय ने दुर्लभ बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति की याचिका पर राज्य सरकार के रुख पर नाराजगी जताई। दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि दुर्लभ बीमारी हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति उत्तर प्रदेश का निवासी है। उसे यहां मुफ्त इलाज नहीं दिया जा सकता।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हेमलता कौशिकThu, 16 Jan 2025 07:08 AM
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उच्च न्यायालय ने दुर्लभ बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति की याचिका पर राज्य सरकार के रुख पर नाराजगी जताई। दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया कि दुर्लभ बीमारी हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति उत्तर प्रदेश का निवासी है। उसे यहां मुफ्त इलाज नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि दुर्लभ बीमारी से पीड़ित व्यक्ति किसी प्रदेश का नहीं होता। उसे देश के हर राज्य में मुफ्त उपचार देना सरकार का कर्तव्य है।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने हीमोफीलिया जैसी दुर्लभ बीमारी के पीड़ित सागर शर्मा की याचिका पर आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार तत्काल उचित उपचार उपलब्ध कराए। जितना भी खर्च होगा उसे सरकार को वहन करना होगा। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि इस बीमारी से पीड़ित को प्रत्येक सप्ताह एंटीहेमोफिलिक फैक्टर (एएचएफ) इंजेक्शन की आवश्यकता होती है। उसका उपचार लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में चल रहा था, लेकिन वहां एएचएफ इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है।

इतना ही नहीं गुरु तेग बहादुर अस्पताल और दिल्ली सरकार के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भी यह इजेंक्शन लंबे समय से नहीं है। इससे बड़ी तादात में पीड़ित लोगों का उपचार बाधित हो गया है। इस बाबत उच्च न्यायालय के समक्ष आरटीआई की प्रति पेश की गई, जिसमें इंजेक्शन के स्टॉक में ना होने की जानकारी दी गई थी। इस पर उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को तत्काल पीड़ित को इंजेक्शन के साथ-साथ अन्य सुविधा उपलब्ध कराने को कहा गया है।

दस हजार रुपये का एक इंजेक्शन लगाना मजबूरी

याचिकाकर्ता ने बताया कि पीड़ित व्यक्ति को प्रत्येक सप्ताह एएचएफ का एक इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है। एक इंजेक्शन की कीमत 10 हजार रुपये है। इसके अलावा अन्य दवाइयों की आवश्यकता भी होती है। इसके लगने के बाद मरीज को तीन दिन सामान्य होने में लगते हैं।

विशेषज्ञ की देखरेख में इलाज के आदेश

पीड़ित ने याचिका में कहा कि दिल्ली सरकार के किसी भी अस्पताल में हीमोफीलिया जैसी गंभीर बीमारी के उपचार के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर (हेमेटोलॉजिस्ट) नहीं है। मेडिसीन के डॉक्टर दुर्लभ बीमारी के पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं। इस पर उच्च न्यायालय ने एलएनजेपी अस्पताल को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करें कि मरीज का इलाज हेमेटोलॉजिस्ट की देखरेख में किया जाए। साथ ही संबंधित इंजेक्शन भी समय पर उपलब्ध कराया जाए।

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