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विदेश गए 3000 युवकों के ठगी में शामिल होने का शक, गृह मंत्रालय ने UP पुलिस को सौंपी लिस्ट

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेश गए उत्तर प्रदेश के तीन हजार से अधिक युवाओं की सूची पुलिस को सौंपी है। आशंका है कि इन युवकों के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिलाया जा रहा है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।

Praveen Sharma हिन्दुस्तान, नोएडा। निशांत कौशिकTue, 5 Nov 2024 09:01 AM
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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेश गए उत्तर प्रदेश के तीन हजार से अधिक युवाओं की सूची पुलिस को सौंपी है। आशंका है कि इन युवकों के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिलाया जा रहा है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। उन्हें विदेश भेजने वाले एजेंट भी पुलिस के रडार पर हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय से पुलिस को उत्तर प्रदेश के तीन हजार से अधिक युवाओं को सूची मिली थी। ये युवक कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड गए थे। उनमें से अधिकांश के साइबर स्लेवरी बनने की आशंका जताई गई है। पुलिस की मानें तो इन युवकों को तीन हजार से लेकर सात हजार डॉलर तक वेतन दिलाने की बात कहकर ले जाया गया। उन्हें एक सप्ताह की ट्रेनिंग के बाद फोन कॉलिंग कराई जाती है और बात न मानने पर उत्पीड़न किया जाता है।

कॉल सेंटर चलाने वाले गैंग के लोग इन युवकों के वीजा और पासपोर्ट को भी अपने पास जमाकर लेते हैं। इसके चलते ये युवक वापस भी नहीं लौट पाते। इन युवकों के घरों पर अब पुलिस की टीमें संपर्क कर रही हैं। उनमें कुछ युवक ऐसे भी हैं, जो टूरिस्ट वीजा या अन्य किसी कारोबार के चलते विदेश गए हैं। एसपी साइबर क्राइम राजेश कुमार यादव ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि यूपी के तीन हजार से अधिक युवा कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड गए हैं, जिनके सत्यापन का काम चल रहा है। इनकी सूची केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिली थी।

यह सही है कि कंबोडिया में साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं को अंजाम देने वाले प्रमुख केंद्र हैं। इसके संबंध में एक रिपोर्ट गृह मंत्रालय और वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी गई है। इन लोगों के निशाने पर पढ़े-लिखे लोग हैं। इन लोगों का डेटा उनके पास है। साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार के साथ ही पुलिस भी निरंतर जागरूकता अभियान चला रही है।

जालसाजी करने की ट्रेनिंग दी जा रही : पुलिस अधिकारियों के अनुसार, विदेश गए युवाओं को भाषा के आधार पर ठगी करने की जिम्मेदारी दी जाती है। मतलब यदि कोई व्यक्ति महाराष्ट्र का है तो उससे महाराष्ट्र के लोगों से ठगी कराई जाती है। यदि कोई गुजरात से है तो गुजराती भाषा बोलकर वह ठगी करता है। इसके लिए उसे प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि बातचीत के दौरान उसे पता रहे कि किन-किन बिंदुओं पर बात करनी है, ताकि वह पकड़ में न आ सके।

चीन के नागरिकों के गिरोह ने भी विदेश में ही सेंटर बनाए : एसटीएफ ने नोएडा से चीन के 11 नागरिकों के गिरोह को पकड़ा था। इस गिरोह के तीन प्रमुख सदस्य देश छोड़कर जा चुके हैं । इस गिरोह ने लोन, गेमिंग और ट्रेडिंग ऐप के माध्यम से हजारों करोड़ की ठगी की थी। एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ था कि इस गिरोह का असली मास्टरमाइंड चीन का नागरिक जिंडी है। उसने भारत में ठगी का नेटवर्क तैयार किया था। वह वर्ष 2020 में भारत से वापस चीन लौट गया था। वह इन दिनों चीन, सिंगापुर और हांगकांग में लगे सर्वर के माध्यम से ठगी कर रहा है।

कंबोडिया में बैठकर लोगों को फंसा रहे

पुलिस अधिकारियों के अनुसार कंबोडिया इन दिनों साइबर ठगी का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां पर बड़े-बड़े कॉल सेंटर हैं, जहां से निवेश, नौकरी, शेयर बाजार में ट्रेडिंग के नाम पर और डिजिटल अरेस्ट कर लोगों को ठगा जा रहा। इसके लिए बाकायदा भारत से नौकरी के नाम पर ले जाए गए लोगों को कॉलिंग करने में लगाया जाता है।

गौतमबुद्ध नगर के 248 लोगों को क्लीनचिट मिली

गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद नोएडा साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने पिछले एक वर्ष के भीतर गौतमबुद्ध नगर जिले से थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम गए 248 लोगों की जांच की। जांच के बाद इन सभी लोगों को क्लीनचिट मिल गई। पुलिस के अनुसार ये सभी लोग पर्यटन या फिर कारोबार के सिलसिले में वहां गए थे। उनका साइबर ठगी के गिरोह से कोई लेना-देना नहीं मिला और न ही उन्होंने किसी कॉल सेंटर में काम किया।

क्या है साइबर स्लेवरी

साइबर स्लेवरी यानी आभासी गुलामी अपराध का नया ट्रेंड है। इसमें विदेशों में नौकरी के लिए जानेवाले युवा को फंसाकर उसने साइबर क्राइम कराया जाता है। लोगों को इन शातिरों के शिकंजे से बचाने के लिए पुलिस ने सत्यापन शुरू किया है।

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