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रेप का झूठा बयान देना पड़ा महंगा, तीस हजारी कोर्ट ने दिया महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का निर्देश

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार के मामले में झूठी गवाही देने के आरोप में एक महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को भी बरी कर दिया।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। एएनआईSun, 6 April 2025 11:32 AM
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रेप का झूठा बयान देना पड़ा महंगा, तीस हजारी कोर्ट ने दिया महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का निर्देश

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार के मामले में झूठी गवाही देने के आरोप में एक महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को भी बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी की प्रतिष्ठा बनाने में पूरी जिंदगी लग जाती है, लेकिन उसे बर्बाद करने के लिए कुछ झूठ ही काफी होते हैं।

आरोपी को बरी करते हुए अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि अभियोक्ता ने इस अदालत के समक्ष झूठा बयान दिया और बलात्कार/धमकी की झूठी कहानी गढ़ी। दरअसल, उज्जैन की रहने वाली महिला ने आरोप लगाया था कि उसे आरोपी ने घूमने के लिए दिल्ली बुलाया था और नवंबर 2019 में नबी करीम इलाके के एक होटल में उसके साथ बलात्कार किया गया।

एडिशनल सेशन जज अनुज अग्रवाल ने महिला द्वारा दिए गए झूठे बयान को देखते हुए आरोपी को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि हालांकि, यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर अभियोक्ता की गवाही विश्वसनीय और भरोसेमंद पाई जाती है, तो उसे किसी स्वतंत्र पुष्टि की जरूरत नहीं होती है, लेकिन इस मामले में पीड़िता की गवाही उन कारणों से उत्कृष्ट गुणवत्ता की नहीं है, जिनकी चर्चा पहले ही की जा चुकी है।

एएसजे अग्रवाल ने 4 अप्रैल के फैसले में कहा, "बल्कि, रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि अभियोक्ता ने इस अदालत के समक्ष झूठी गवाही दी और बलात्कार/धमकी की झूठी कहानी गढ़ी।"

जज ने कहा कि अदालत ने माना कि बलात्कार के झूठे मामले ने आरोपी को पीड़ित बना दिया। 'पीड़ित' शब्द सिर्फ शिकायतकर्ता तक सीमित नहीं हो सकता, बल्कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं, जहां आरोपी भी असली पीड़ित बन जाते हैं, और अदालत के सामने हाथ जोड़कर खड़े होकर अपने लिए न्याय की गुहार लगाते हैं।

एएसजे अनुज अग्रवाल ने कहा, "प्रतिष्ठा बनाने में पूरा जीवन लग जाता है, लेकिन इसे नष्ट करने के लिए कुछ झूठ ही काफी होते हैं। इसलिए, मेरे विचार से, केवल बरी कर देने से आरोपी की पीड़ा की भरपाई नहीं हो सकती, जिसे यौन उत्पीड़न की झूठी कहानी के आधार पर ऐसे जघन्य अपराधों के लिए मुकदमे की पीड़ा से गुजरना पड़ा।"

अदालत ने आदेश दिया, ''चूंकि रिकॉर्ड से यह साफ है कि महिला ने इस कोर्ट के समक्ष झूठा बयान दिया है, इसलिए उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 229/231 के तहत झूठी गवाही के अपराध के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 379 के अंतर्गत शिकायत इस अदालत के अहलमद द्वारा चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सेंट्रल) की अदालत में भेजी जाए।"

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