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रेमो डिसूजा के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दिल्ली ट्रांसफर, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बॉलीवुड निर्देशक रेमो डिसूजा से जुड़े धोखाधड़ी मामले की सुनवाई को गाजियाबाद से दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत में ट्रांसफर कर दिया। पढ़ें यह रिपोर्ट…

Krishna Bihari Singh भाषा, नई दिल्लीFri, 22 Nov 2024 10:45 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने बॉलीवुड निर्देशक और कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा से जुड़े धोखाधड़ी मामले को दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत को ट्रांसफर कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि यदि मामला गाजियाबाद से दिल्ली की अदालत में ट्रांसफर कर दिया जाए तो अभियोजन पक्ष पर कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि कड़कड़डूमा अदालत के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट संबंधित न्यायाधीश को यह केस सौंपने के लिए स्वतंत्र हैं।

मालूम हो कि गाजियाबाद में रहने वाले व्यवसायी सत्येन्द्र त्यागी ने 2016 में रेमो डिसूजा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि रेमो डीसूजा ने सत्येन्द्र त्यागी को अपनी आगामी फिल्म 'अमर मस्ट डाई' में पांच करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए राजी किया था। वादा किया गया कि रिलीज के बाद दोगुनी राशि दी जाएगी। हालांकि, व्यवसायी सत्येन्द्र त्यागी ने दावा किया कि वादा पूरा नहीं किया गया। रेमो डिसूजा के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 406 और 386 के तहत केस दर्ज किया गया था।

आरोप है कि जब त्यागी ने अपने पैसे मांगे तो डिसूजा ने अंडरवर्ल्ड डॉन प्रसाद पुजारी के जरिए उन्हें धमकाया। गाजियाबाद के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अक्टूबर, 2020 में अपराध का संज्ञान लिया। इसे डिसूजा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, 2016 में दर्ज धोखाधड़ी के मामले को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 नवंबर को धोखाधड़ी मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और गाजियाबाद में रहने वाले व्यवसायी सत्येन्द्र त्यागी को नोटिस जारी किया था। डिसूजा के वकील ने दलील दी कि यह एक दीवानी मामला है, जिसे अब आपराधिक मामले में बदल दिया गया है और इसमें केवल पक्षों के बीच समझौते का उल्लंघन हुआ है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि मामले की सुनवाई दिल्ली में स्थानांतरित कर दी जाए, तो यह फायदेमंद होगा। अदालत को मुकदमे की कार्यवाही में देरी करने का कोई कारण नहीं दिखता।

(एएनआई का इनपुट भी शामिल)

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