Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Sub-inspector fails to properly serve warrant court seeks DCP action by Delhi Police

गैर जमानती वारंट को गवाह तक नहीं पहुंचा सका दिल्ली पुलिस का सब इंस्पेक्टर, अब फूटा अदालत का गुस्सा

  • सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि गवाह के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट इसलिए वापस कर दिया गया, क्योंकि वह अपने दिए गए पते पर नहीं मिले। जबकि इससे पहले के जमानती वारंट बराबर उनके पास पहुंच रहे थे।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीThu, 9 Jan 2025 09:11 PM
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राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संबंधित डीसीपी को निर्देश दिया है। अदालत का गुस्सा इसलिए फूटा क्योंकि वह एसआई एक केस में गवाह के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को ठीक तरीके से तालीम कराने में असफल रहा था। कोर्ट ने इस बारे में संबंधित डीसीपी (पुलिस उपायुक्त) को सब इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

यह मामला बुधवार का है जब प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (केंद्रीय) संजय गर्ग हौज काजी थाने में दर्ज एक मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से पूछताछ कर रहे थे। कोर्ट ने जिस एसआई के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है उसका नाम कैलाश है और उन पर ही गवाह के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को पहुंचाने की जिम्मेदारी थी।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाह राशिद के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट और कुर्की वारंट इसलिए वापस कर दिया गया, क्योंकि वह अपने दिए गए पते पर नहीं मिले। जबकि इससे पहले उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट बराबर उनके पास पहुंच रहे थे।

जज ने कहा, यहां प्रोसेस सर्वर यानी एसआई कैलाश पर अदालती दस्तावेज को संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। उनकी भूमिका यह सुनिश्चित करना थी कि सही व्यक्ति को दस्तावेज मिले और उसे अपने कानूनी कर्तव्यों के बारे में भी जानकारी मिले। इस पूरी प्रक्रिया को 'सर्विस ऑफ प्रोसेस' के रूप में जाना जाता है। हालांकि कैलाश इसे निभाने में असफल रहे।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, 'यहां यह बताना जरूरी है कि इसी केस में 29 अक्टूबर, 2024 से पहले के जमानती वारंट गवाह के उसी पते पर पहुंचाए गए थे। और परिस्थितियों को देखकर ऐसा लग रहा है कि आज के लिए जारी प्रक्रिया को लापरवाही से पूरा किया गया था।'

इसके बाद अदालत ने गवाहों को न्याय की आंखें और कान बताते हुए कहा कि इस मामले में चूंकि गवाह यानी राशिद पेश नहीं हो रहा था, इसलिए बड़ी अनिच्छा के साथ उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था।' अदालत ने कहा कि स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) अदालत द्वारा जारी प्रक्रिया को पूरा करने या गवाहों को बुलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हालांकि खास बात यह है कि बुधवार को सुनवाई के दौरान वह गवाह निर्धारित समय पर अदालत के सामने पेश हो गया और उसने अपना बयान भी दर्ज करा दिया। जिसके बाद कोर्ट ने सवाल उठाते हुए पूछा कि जब उसे वारंट मिला ही नहीं था तो उसे बुधवार के समन के बारे में कैसे पता चल गया।

अदालत ने कहा, 'गवाह राशिद के बयान से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि प्रोसेस सर्वर सब-इंस्पेक्टर कैलाश द्वारा प्रक्रिया को ठीक से पालन करने की कोई कोशिश नहीं की गई थी। यह बहुत गंभीर मामला है। इस आदेश की एक प्रति और गवाह राशिद द्वारा दर्ज कराए गए बयान की एक प्रति संबंधित डीसीपी को भेजी जाए तथा उन्हें आवश्यक कार्रवाई करने तथा अगली सुनवाई की तारीख (11 फरवरी) से पहले रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए जाएं।

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