Hindi Newsएनसीआर न्यूज़That first morning of independence Traders opened Godowns in Chandni Chowk of Delhi

आजादी की वह पहली सुबह: दिल्ली के चांदनी चौक में व्यापारियों ने खोल दिए थे भंडारे

उस वक्त दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष राम साहब गुरप्रसाद कपूर थे, जिन्होंने व्यापारियों से आह्वान किया कि वो देशभर से दिल्ली आ रहे लोगों के लिए ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम करें।

Vishva Gaurav हिंदुस्तान, नई दिल्ली।Mon, 15 Aug 2022 08:08 AM
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देश की आजादी के दिन चांदनी चौक में लोगों को हुजूम उमड़ा था। 14 अगस्त 1947 को दिन से ही पूरे बाजार में हुजूम था। आजादी की घोषणा के बाद अगले दिन बाजार में जहां तक भी नजर जा रही थी, वहां तक लोगों के सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे।

खुशी के माहौल और उमड़ी भीड़ को देख व्यापारियों को अपनी दुकानें बंद कर लोगों के ठहरने और खाने के लिए टेंट और भंडारे लगाने पड़े थे। उस वक्त दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष राम साहब गुरप्रसाद कपूर थे, जिन्होंने व्यापारियों से आह्वान किया कि वो देशभर से दिल्ली आ रहे लोगों के लिए ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम करें। इस मौके पर कई व्यापारियों ने लोगों के ठहरने के लिए अपने गोदाम तक खोल दिए थे।

14 अगस्त की रात को ही पहुंचने शुरू हो गए थे लोग
देश की सबसे पुरानी दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन (डीएचएमए) के इतिहास में लिखा गया है कि 1893 में गठन के बाद संगठन का आजादी के आंदोलन में अहम योगदान रहा। मौजूदा समय में एसोसिएशन के महामंत्री श्रीभगवान बंसल कहते हैं कि उनके पिता कृष्ण कुमार बंसल ने 1945 में चांदनी चौक में आकर कपड़े की दुकान खोली थी। पिताजी बताते थे कि आजादी के दिन चांदनी चौक में जश्न और खुशी का अभूतपूर्व माहौल था। दिल्ली के आसपास के शहरों से लोग 14 अगस्त की रात को ही पहुंचने शुरू हो गए थे।

बाहर से पहुंचे लोगों ने भी किया सहयोग
अगले दिन दोपहर तक आलम यह हो गया था कि हर दुकान के बाहर लोग ठहरे हुए थे। भूखे-प्यासे लोगों के चेहरे पर अजब सी खुशी थी। लोगों से घर लौटने की अपील भी की जा रही थी, लेकिन लोग जाना नहीं चाहते थे। ऐसे में उस वक्त संगठन ने लोगों के लिए पीने के लिए पानी और खाने के लिए भोजन का इंतजाम किया। चांदनी चौक के व्यापारियों ने राशन एकत्र किया और भंडारे शुरू कर दिए। दिल्ली पहुंचे लोगों ने भी भंडारे में सहयोग किया।

जींद से पैदल और बैलगाड़ियों में पहुंचे लोग
चांदनी चौक के व्यापारी दिनेश जैन बताते हैं कि उनके बड़े बाबा (दादा के पिता जी) लाला गूगनमल जैन 1895 में हरियाणा के जींद से कारोबार करने के लिए दिल्ली आए थे। स्थानीय व्यापारी उन्हें चौधरी साहब भी कहा करते थे। उन्हें जींद और आसपास के लोग जानते थे। जैसे ही देश आजाद होने की खबर रेडियो के माध्यम लोगों की मिली तो जींद से पैदल और बैलगाड़ी लेकर लोगों का हुजूम दिल्ली के लिए निकल पड़ा। बाबा जी बताते थे कि जींद से बड़ी संख्या में आए लोगों के ठहरने के लिए दुकान के बाहर टेंट लगाकर इंतजाम किया गया। हालांकि, आजादी की खुशी के बीच लोगों में विभाजन को लेकर भी गुस्सा था।

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