आफताब को 2 महीने में मिले फांसी की सजा, वकील ने कहा- केस को टाइम बाउंड फास्ट ट्रैक कराने की कोशिश
Shraddha Murder Case: श्रद्धा के पिता की वकील सीमा कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'हमें इस केस को टाइम बाउंड फास्ट ट्रैक करवाना है, निर्भया केस में भी फैसला आने में 7 साल लग गए थे।
Shraddha Murder Case: दिल्ली में अपनी लिव इन पार्टनर श्रद्धा वालकर को कई टुकड़ों में काटने के आरोपी आफताब पूनावाला पर चल रही कानूनी कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं। दिल दहला देने वाली इस वारदात में पुलिस ने 6000 से ज्यादा पन्नों की अपनी चार्जशीट अदालत में दी है। इस बीच पीड़ित परिवार के वकील ने कहा है कि वो इस कोशिश में लगे हैं कि इस दर्दनाक केस को टाइम बाउंड फास्ट ट्रैक करवाया जाए ताकि आफताब को जल्द से जल्द फांसी की सजा मिल सके।
श्रद्धा के पिता की वकील सीमा कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'हमें इस केस को टाइम बाउंड फास्ट ट्रैक करवाना है, निर्भया केस में भी फैसला आने में 7 साल लग गए वो केस भी फास्ट ट्रैक था इसलिए हम चाहते हैं कि ये केस टाइम बाउंड फास्ट ट्रैक हो और 1-2 महीने में फैसला हो और आफताब को फांसी की सज़ा हो।'
बता दें कि दिल्ली की अदालत ने श्रद्धा हत्याकांड मामले में आफताब अमीन पूनावाला के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र का मंगलवार को संज्ञान लिया। पुलिस ने 24 जनवरी को 6,629 पृष्ठ का आरोपपत्र दाखिल किया था। अदालत ने आरोपपत्र पर गौर करने के लिए मामले को 21 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
आरोप है कि आफताब पूनावाला (28) ने अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर की कथित तौर पर हत्या कर उसके शव के 35 टुकड़े कर दिए थे और उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में फेंक दिया था। उसे 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था।
बता दें कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी केस के फास्ट ट्रैक कोर्ट में आने के बाद भी उसपर फैसला आने में काफी समय लग जाता है। हालांकि, फास्ट ट्रैक कोर्ट की डिलीवरी रेट काफी तेज है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने कई बार हफ्ते भर के अंदर भी दोषियों को सजा सुनाई है। कुछ जानकारों का मानना है कि हाईकोर्ट फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए टाइमलाइन तय कर सकता है कि किसी मामले की सुनवाई कब तक पूरी होनी है।
इसके बाद अदालत इसी टाइमलाइन को ध्यान में रखते हुए यह तय करता है कि किसी मामले की सुनवाई हर रोज करनी है या कुछ समय के अंतराल पर। केस से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत इसी तय टाइमलाइन के अंदर अपना फैसला सुना देता है।