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शरारती तत्वों ने यहां दहन से पहले ही फूंक दिया मेघनाद का पुतला

मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में दशहरे पर रावण के पुतले के दहन की तैयारियों के लिए मंगलवार तड़के रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले लाकर रखे गए थे। लेकिन मंगलवार तड़के साढ़े चार बजे बस...

Praveen Sharma गुरुग्राम। कार्यालय संवाददाता , Tue, 8 Oct 2019 06:14 PM
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मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में दशहरे पर रावण के पुतले के दहन की तैयारियों के लिए मंगलवार तड़के रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले लाकर रखे गए थे। लेकिन मंगलवार तड़के साढ़े चार बजे बस स्टैंड के पास स्थित गोशाला मैदान में शरारती तत्वों ने 45 फुट लंबे मेघनाद के पुतले में आग लगा दी। जब तक कोई कुछ समझ पाता, तब तक पुतला पूरी तरह खाक हो चुका था। ऐसे में सुबह साढ़े छह बजे दशहरा मेला सीमित के पदाधिकारी मैदान में पहुंचे तो वहां का नजारा देखकर उनके होश उड़ गए। ऐसे में आयोजकों को भारी नुकसान का खामियाजा उठाना पड़ा और दर्शकों को देखते हुए दोबारा मेघनाद का 45 फुट ऊंचा पुंतला मंगाने का इंतजाम करने के लिए कहा गया। हालांकि सीमित के प्रधान ने कहा कि पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी गई है और अभी तक शरारती तत्वों की भी पहचान नहीं हो सकी है। 

दूसरे पुतले का इंतजाम का प्रयास

दशहरा मेला समिति के प्रधान ईश्वर सिंह ने बताया कि मंगलवार तड़के साढ़े चार बजे शरारती तत्वों द्वारा मेघनाद के पुतले में आग लगा दी गई। यहां पर पुतले की सुरक्षा के लिए कोई गार्ड या पुलिसकर्मी नहीं था। जबकि रावण को बनाने वाले कारीगर सुबह साढ़े तीन बजे ही सोए थे। डेढ़ घंटे बाद रावण को जला दिया गया। ऐसे में सूचना मिलने के बाद वह छह बजे मौके पर पहुंचे और कारीगरों से दूसरे पुंतले का इंतजाम करने के लिए कहा गया। लेकिन शाम पांच बजे तक पुतले का इंतजाम नहीं हो पाया था और समिति द्वारा रावण और कुंभकर्ण का पुतला खड़ा कर दिया गया।

तैयार करने में लगे 20 दिन 

प्रधान ईश्वर सिंह ने बताया कि समिति द्वारा पिछले 26 साल से दशहरा मनाया जा रहा है। इस बार 27वां साल था, लेकिन शरारती लोगों द्वारा दशहरा की रौनक को फीका कर दिया गया। रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का पुतला तैयार करने में 20 दिन का समय लगा था।

पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं

  • साल 2018 में पानीपत में भी शरारती तत्वों द्वारा पुतले में आग लगा दी गई थी। ऐसे में संस्था ने दोबारा से पुतला तैयार करवाया था।
  • साल 2018 में यमुनानगर के सरस्वती नगर में भी 120 फीट का पुतला तैयार था। उसे खड़ा किए जाने के लिए वेल्डिंग की जा रही थी। अचानक किसी की शरारत से एक चिंगारी पुतले पर आ गिरी और पुतले में आग लग गई।

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