Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Sexual harassment of Mbbs students in Baba Saheb Ambedkar Hospital professor who touched girls private part got clean chit said saurabh bharadwaj

MBBS छात्राओं के प्राइवेट पार्ट को छूने की कोशिश हुई, दावा कर बोले मंत्री- प्रोफेसर को क्लीन चिट कैसे मिल गई

सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'मैं हैरान हूं कि अगले दिन जो रिपोर्ट मुख्य सचिव ने दी वो बेहद ही शर्मसार करने वाली और घटिया रिपोर्ट है। मैं समझता हूं कि कोई भी आदमी ऐसी घटिया रिपोर्ट नहीं देगा।'

Nishant Nandan लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 28 March 2024 09:08 PM
share Share

दिल्ली के बाबासाहेब अंबेडकर अस्पताल में MBBS की कई छात्राओं के यौन शोषण के मामले में दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बड़ा दावा किया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि इस मामले के आरोपी प्रोफेसर को क्लीन चिट दे दी गई है। दिल्ली सरकार के मंत्री ने छात्राओं के आरोप की जांच कर आरोपी प्रोफेसर को क्लीन चिट दिए जाने के कमेटी के फैसले पर हैरानी जताई है। इसके साथ-साथ सौरभ भारद्वाज ने यह भी बताया है कि कैसे यह पूरा मामला उजागर हुआ। सौरभ भारद्वाज ने मुख्य सचिव को भी निशाने पर लिया है। 

सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'MBBS छात्राओं के साथ छेड़खानी करने वाले प्रोफेसर को मुख्य सचिव बचा रहे हैं। उनकी चिट्ठी से साबित हुआ है कि बाबासाहेब अंबेडकर अस्पताल की छात्राओं के साथ वाइवा में प्रोफेसर ने गंदी बातें की हैं। छात्राओं के प्राइवेट पार्ट को छूने की कोशिश की गई। इस मामले पर मैं छात्राओं से मिला। प्रिंसि्पल से बात की, तो पता चला कि प्रिंसिपल प्रोफेसर की तरफदारी कर रहे हैं। जब मैंने मुख्य सचिव को प्रोफेसर को सस्पेंड और प्रिंसिपल को ट्रांसफर करने के लिए कहा, तो Chief Secretary ने ऐसी चिट्ठी लिखी जिसे पढ़कर आपके होश उड़ जाएंगे।'

'प्राइवेट पार्ट के विषय में पूछा'

सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'बाबासाहेब अंबेडकर अस्पताल की MBBS छात्राओं के साथ VIVA के दौरान उनके एक प्रोफेसर ने बहुत अभद्र बातें की। उनसे प्राइवेट पार्ट के विषय में कुछ ज्यादा ही छानबीन की। उनके शरीर के अंगों को छूने की कोशिश की गई। छात्राओं ने उसी रात को अपने एक प्रोफेसर धनखड़ को इस बारे में बताया था। इसके बाद प्रोफेसर ने छात्राओं को सलाह दी कि वो प्रिंसिपल से अपनी शिकायत करें। इसके बाद 1 मार्च 2024 को छात्राओं ने अपनी शिकायत प्रिंसिपल से की थी। उन लड़कियों को उम्मीद थी प्रिंसिपल इस मामले में कुछ ऐक्शन लेंगे। यह मामला इंटरनल कम्पलेन कमेटी को दे दिया गया। लड़कियां बार-बार प्रिंसिपल से इस मामले में ऐक्शन को लेकर पूछती रहीं लेकिन उनको कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया।' 

सौरभ भारद्वाज ने दावा करते हुए कहा, ' छात्राओं के ऊपर दबाव बनाया गया कि आप अपनी शिकायत वापस लें। इसके बाद 22 मार्च, 2024 को दो लड़कियों ने इस मामले में थाने में केस दर्ज करवाई। इसके बाद सोशल मीडिया के जरिए यह मामला मेरे संज्ञान में आई। इसके बाद मैंने दोनों लड़कियों से मिलने की कोशिश की थी। बाद में दोनों लड़कियों ने मुझसे मुलाकात की थी। मुझे उनकी बात सुनकर लगा कि वो सच कर रही हैं। इसके बाद मैंने प्रिंसिपल से बात की थी लेकिन उस वक्त भी वो आरोपी प्रोफेसर की तरफदारी कर रहे थे। वो लड़कियों के ऊपर बेवजह के आरोप लगा रहे थे।

मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी

लिहाजा मैंने इसे लेकर मुख्य सचिव को एक चिट्ठी लिखी और उस चिट्टी में कहा कि ये जो कमेटी आपने मार्च के शुरू में बनाई थी उसकी रिपोर्ट अब तक क्यों नहीं आई है? दूसरी बात मैंने उनसे पूछा कि आपने मंत्री को यह बात क्यों नहीं बताई? मुख्य सचिव को मैंने कहा कि प्रोफेसर को तुरंत सस्पेंड किया जाए और प्रिंसिपल का तुरंत ट्रांसफर किया जाए। मैंने 24 घंटे के अंदर इसकी रिपोर्ट मांगी। 

'शर्मसार करने वाली रिपोर्ट मिली'

मैं हैरान हूं कि अगले दिन जो रिपोर्ट मुख्य सचिव ने दी वो बेहद ही शर्मसार करने वाली और घटिया रिपोर्ट है। मैं समझता हूं कि कोई भी आदमी ऐसी घटिया रिपोर्ट नहीं देगा। स्वास्थ्य सचिव ने मंत्री को इसलिए नहीं बताया क्योंकि यह मामला सर्विसेज का है। मुख्य सचिव ने यह बात अपनी रिपोर्ट में लिखी है। दूसरी बात उन्होंने लिखी है कि मंत्री क्यों कह रहे हैं कि कमेटी रिपोर्ट देने में देर कर रही है? कमेटी के पास अभी 90 दिन है और वो अपना काम कर रही है। तीसरी बात उन्होंने लिखा कि प्रिंसिपल के ट्रांसफर को लेकर फाइल एनसीसीएसए को एक महीने पहले ही भेज दी गई है। जबकि वो रुटीन फाइल थी उसमें जितने में भी दिल्ली के अस्पतालों के प्रिंसिपल हैं उनके ट्रांसफर की बात कही गई है, ये फाइल किसी एक प्रोफेसर की नहीं है।'

एलजी को लिखी चिट्ठी 

सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा, 'उसके जवाब में मैंने एलजी साहब को चिट्ठी लिखी कि आप इसपर तुरंत कार्रवाई कीजिए। मैंने एलजी से आग्रह किया कि आप प्रिंसिपल को डिटेन (एक जगह से दूसरी जगह ट्रांसफर की प्रक्रिया) कर दीजिए। यह बात एलजी को भी मालूम है कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है। मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को भी पता है। मैने एलजी को चिट्ठी लिख कर कहा था कि जब इतने दिनों में दिल्ली पुलिस चार्जशीट दायर कर सकती है तो आप कह रहे हैं कि अभी कमेटी की रिपोर्ट ही नहीं आई है।' 

कमेटी ने क्लीन चिट दिया - सौरभ भारद्वाज

कमेटी ने 1 फरवरी से जांच शुरू कर दी। पूरा फरवरी गुजर गया। मार्च गुजर गया लेकिन आप रिपोर्ट नहीं तैयार कर सके। तब मैंने एलजी को चिट्ठी लिखी और अब पता चला है कि कमेटी की रिपोर्ट आ गई है और प्रोफेसर को क्लीन चिट दे दी गई है।  सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'मैं तो हैरान हूं कि आप किस न्याय व्यवस्था की बात कर रहे हैं और किस सर्विसेज की बात कर रहे हैं।'

अगला लेखऐप पर पढ़ें