RML में तीन दिन तक नहीं मिला आईसीयू बेड, मरीज की मौत; अंबू बैग से ऑक्सीजन देता रहा परिवार
दिल्ली के अस्पतालों की स्थिति सुधारने को लेकर तमाम वादे किए गए हैं जिनकी जमीनी हकीकत अलग है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में तीन दिन तक आईसीयू बेड नहीं मिलने से मरीज ने दम तोड़ दिया।
कोरोना महामारी के बाद दिल्ली के अस्पतालों की स्थिति सुधारने के तमाम दावे किए गए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आए दिन आईसीयू बेड न मिलने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला राम मनोहर लोहिया अस्पताल से सामने आया है, जहां तीन दिन तक आईसीयू बेड न मिलने से निमोनिया और सांस संबंधी रोग से पीड़ित व्यक्ति ने दम तोड़ दिया। परिजन हाथ से अंबू बैग दबाते हुए दो दिन तक ऑक्सीजन देने का प्रयास करते रहे, जिसका वीडियो वायरल हो रहा है।
द्वारका निवासी कन्हैया लाल ने बताया कि उनके 57 वर्षीय पिता राजकिशोर भगत को निमोनिया और सांस लेने में तकलीफ थी। इसके बाद वे उन्हें लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल की इमरजेंसी में गए। डॉक्टरों ने उनसे कहा कि मरीज को आईसीयू बेड की सख्त जरूरत है, लेकिन बेड नहीं मिल सका। परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने बेड खाली न होने का हवाला दिया। मरीज को सांस लेने में तकलीफ हुई तो एक गुब्बारे के आकार का अंबू बैग परिजनों को दिया गया। इसे हाथ से दबाते हुए परिजनों ने दो दिन तक मरीज को ऑक्सीजन दी गई।
लाल ने बताया कि रविवार को पिता को दिल का दौरा पड़ा था तो डॉक्टरों ने सीपीआर देकर उन्हें बचा लिया। इसके बाद कहा कि तुरंत आईसीयू बेड का इंतजाम करो, लेकिन बेड नहीं मिल सका। रविवार को ही पिता ने दम तोड़ दिया। संवाददाता ने इस मामले को लेकर कई बार संबंधित अधिकारी से संपर्क साधने का प्रयास किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
कैंसर पीड़ित इलाज के लिए भटकती रही थी
पिछले सप्ताह ब्लड कैंसर से जूझ रही 14 वर्षीय किशोरी इलाज के लिए दर-दर भटकती रही, लेकिन उसे बेड नहीं मिला। इस कारण उसकी भी मौत हो गई थी। तिमारपुर की रहने वाली फायजा के परिजनों का आरोप था कि वे बच्ची के इलाज के लिए एक सप्ताह तक अस्पतालों में भटकते रहे, लेकिन उन्हें बेड नहीं मिला था। अस्पतालों में दर्द से कराहने और बेड न मिलने के बाद बच्ची के वापस लौटने की जानकारी वाले कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुए थे। मामले की जानकारी एम्स की प्रोटोकॉल और मीडिया विभाग को लगी तो उसे फोन कर अस्पताल बुला लिया गया। भर्ती होने के छह घंटे बाद उसकी मौत हो गई।