दिल्ली में निजी स्कूलों में 20 फीसदी तक फीस बढ़ी, बस के किराये में भी इजाफा
इधर दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजित गौतम ने कहा कि अभिभावक को आज तक यह नहीं पता कि स्कूल को कब और कितनी फीस बढ़ाने की अनुमति मिली। किस मद में कितनी कानूनी फीस की अदायगी करनी है।
निजी स्कूलों में नया सत्र शुरू होने से अभिभावकों की जेब पर बोझ बढ़ गया है। कई स्कूलों ने फीस से लेकर परिवहन शुल्क में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है। अभिभावकों को महंगी दर पर किताबें खरीदनी पड़ रही है। साथ ही वर्दी खरीद के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
द्वारका निवासी प्रवीन माधव का बेटा कक्षा छठीं का छात्र है और एक नामी स्कूल में पढ़ता है। पिछले वर्ष की तुलना में उनके बच्चे का स्कूल खर्चा 1500 रुपये अधिक बढ़ गया है। प्रवीन ने बताया कि स्कूल ने ट्यूशन फीस, वार्षिक और विकास शुल्क को मिलाकर कुल फीस में 9.5 फीसदी की वृद्धि की है। परिवहन शुल्क में दस फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि फीस बढ़ाने के लिए अनुमति लेनी होती है, लेकिन स्कूल ने नए सत्र की फीस बढ़ा दी है। स्कूल सरकारी एजेंसी की ओर से आवंटित जमीन पर संचालित होता है।
वहीं, मौजपुर निवासी रमेश कुमार ने कहा उनका बेटा कक्षा सातवीं में पढ़ता है। स्कूल से बच्चे का पाठ्यक्रम 7900 रुपये में मिला। अभी करीब 8100 रुपये की फीस का भुगतान किया जाना बाकी है। हर माह की स्कूल फीस 4300 रुपये के करीब है। पिछले साल की तुलना में करीब नौ से दस फीसदी फीस अधिक देनी पड़ेगी।
शुल्क पर अर्थव्यव्स्था निर्भर
अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के वरिष्ठ सलाहकार मृदुल अवस्थी ने कहा कि किसी भी स्कूल की अर्थव्यवस्था फीस पर ही निर्भर करती है। स्कूल के अध्यापक वर्ग और अन्य स्टाफ के वेतन में भी वार्षिक वृद्धि करनी होती है। इसके अतिरिक्त स्कूल को सुचारू रूप से चलाने के लिए अन्य खर्चे करना भी अनिवार्य होता है। यह सब फीस बढ़ोतरी पर ही निर्भर करता है। इसी तरह परिवहन के मद में वृद्धि करना मजबूरी होता है।
बिना अनुमति नहीं बढ़ा सकते शुल्क
शिक्षा निदेशालय के आदेश के अनुसार, सरकारी एजेंसी की ओर से आवंटित भूमि पर संचालित होने वाले निजी स्कूल शैक्षणिक सत्र 2024-25 में बिना अनुमति के ट्यूशन फीस/शुल्क नहीं बढ़ा सकते हैं। अगर कोई स्कूल फीस बढ़ाता है तो ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। निदेशालय ने स्कूलों को फीस बढ़ोतरी के संबंध में 15 अप्रैल तक प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं। इसमें स्कूलों को 15 अप्रैल तक रिर्टन और दस्तावेज वेबसाइट पर अपलोड करने के आदेश है।
मजबूरी में देने पड़ते हैं रुपये- गौतम
दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजित गौतम ने कहा कि अभिभावक को आज तक यह नहीं पता कि स्कूल को कब और कितनी फीस बढ़ाने की अनुमति मिली। किस मद में कितनी कानूनी फीस की अदायगी करनी है। इसका कोई दस्तावेज विभाग द्वारा सावर्जनिक तौर पर उपलब्ध नहीं कराया जाता है। इसके चलते अभिभावकों को सारा पैसा देना पड़ता है।
विद्यालय के खर्चे तय होते हैं - अरोड़ा
एक्शन कमेटी ऑफ अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल के अध्यक्ष भरत अरोड़ा ने बताया कि डीएसईएआर 1973 की धारा 17 सी में प्रावधान है कि 31 मार्च से पहले फीस वृद्धि की जानकारी शिक्षा विभाग को देनी होती है। बढ़ी हुई स्कूल फीस के आधार पर ही स्कूलों के अगले वर्ष के खर्चे तय किए जाते हैं, जो अनिवार्य होते हैं।