Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Passengers troubled by smoking in public transport are entitled to compensation: NCDRC

सार्वजनिक परिवहन में धूम्रपान से परेशान यात्री मुआवजा पाने का हकदार : एनसीडीआरसी

एनसीडीआरसी ने कहा है कि सार्वजनिक परिवहन में धूम्रपान से परेशान यात्री मुआवजे का हकदार है। एनसीडीआरसी ने कहा कि हरियाणा रोडवेज बसों में धूम्रपान से परेशान एक यात्री को मुआवजा देने का आदेश सही है।

Praveen Sharma नई दिल्ली। प्रभात कुमार, Fri, 27 Oct 2023 05:59 AM
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राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने कहा है कि सार्वजनिक परिवहन में धूम्रपान से परेशान यात्री मुआवजे का हकदार है। एनसीडीआरसी ने कहा कि हरियाणा रोडवेज बसों में धूम्रपान से परेशान एक यात्री को मुआवजा देने का आदेश सही है।

हरियाणा राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के आदेशों के खिलाफ शिकायतकर्ता की ओर से दाखिल 3 अपीलों का निपटारा कर दिया। आयोग ने परिवहन महानिदेशक को बस में धूम्रपान से परेशान हुए एक यात्री को मुआवजा देने का आदेश दिया था। आयोग ने 13 अक्टूबर, 2022 को पारित फैसले में कहा था कि हरियाणा रोडवेज ये सुनिश्चित करने को आवश्यक कदम उठाने में विफल रहा कि बसों में या बस स्टैंडों पर धूम्रपान नहीं किया जाएगा।

एनसीडीआरसी के सदस्य जस्टिस सुदीप अहलुवालिया की बेंच ने मामले में हरियाणा परिवहन के महानिदेशक के तीन अपीलों का निपटारा कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले में दखल देने की आवश्यकता नहीं है। परिवहन सेवा मुहैया कराने वाले की ही यह जिम्मेदारी है कि सार्वजनिक वाहनों में नियमों का पालन सुनिश्चित हो। आयोग ने हरियाणा परिवहन को राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश के मुताबिक 15 हजार मुकदमा खर्च सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया।

यह है मामला

शिकायतकर्ता अशोक कुमार प्रजापत ने 2018-2019 में तीन अलग-अलग तारीख पर हरियाणा परिवहन की बस में यात्रा की। उन्हें तीनों ही बार यात्रा के दौरान बस में धूम्रपान के चलते परेशानी हुई। शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम में तीन शिकायतें दाखिल कीं, लेकिन फोरम ने उनकी शिकायत ठुकरा दी। शिकायतकर्ता ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की।

आयोग को रिट आदेश जारी करने का अधिकार नहीं

एनसीडीआरसी ने राज्य उपभोक्ता आयोग के उस निर्देश को रद्द कर दिया, जिसमें परिवहन विभाग को 60 हजार रुपये पीजीआई चंडीगढ़ में जमा कराने को कहा गया था। शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने कहा, इस तरह का रिट आदेश जारी करने की शक्ति सिर्फ संवैधानिक अदालत के पास है, उपभोक्ता आयोग के पास नहीं।

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